सूर्य मंदिर तालाब में स्नान मात्र से हो जाता है कुष्ठ रोग से निवारण - Kushth Rog Nivaran

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सूर्य मंदिर तालाब में स्नान मात्र से हो जाता है कुष्ठ रोग से निवारण - Kushth Rog Nivaran


सन 1948 में हुई थी पाई बिगहा सूर्य मंदिर की स्थापना।

प्रभात कुमार मिश्रा, गया।

ऐसे तो गया जिले में कई प्राचीन और ख्याति प्राप्त सूर्य मंदिर स्थापित हैं। जिसकी मान्यता के अनुसार आज भी बड़ी संख्या में लोग सूर्योपासन करने आते हैं। उन्ही सब सूर्य मंदिरों में से एक है जिले के बेलागंज प्रखंड में स्थापित लोक आस्था का केंद्र पाईंविगहा स्थित सूर्य मंदिर यहां बिहार में साल में दो बार मनाए जाने वाले छठ पर्व में बड़ी संख्या में क्षेत्रीय के साथ साथ गया, जहानाबाद व अरवल सहित बिहार के विभिन्न जिलों से श्रद्धालु छठ व्रत करने आते है। चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ के मौके पर नहाय खाय से लेकर पारण तक चार दिनों तक दर्शनीय मेला का आयोजन किया जाता है। लोगों में आस्था है कि सूर्य मंदिर के के विपरीत दिशा में निर्मित तालाब में स्नान मात्र से कुष्ठ सहित सभी प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति मिल जाती है। हजारों लोग आस्था के इस प्रसाद से लाभान्वित हुए हैं। परिणाम स्वरूप आज भी छठ पर्व के मौके पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ता है। 

वर्ष 1948 में की गई थी मंदिर की स्थापना, मंदिर का है तांत्रिक प्रमाण।

प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त सूर्य मंदिर की स्थापना वर्ष 1948 में पाईबिगहा डीह निवासी तांत्रिक साध्वी ललिता देवी जो क्षेत्र में माई जी के नाम से प्रसिद्ध थी, उन्हीं के द्वारा तांत्रिक सिद्धियों के साथ लोक कल्याण के उद्देश्य से किया गया था। स्थानीय लोग बताते हैं कि जो भी श्रद्धालु माई जी के पास अपनी समस्या को लेकर जाते थे। माई जी सूर्योपसन के तप से तत्काल उसकी समस्याओं का निवारण कर देती थी। जिसके बाद से आज तक लोगों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। स्थानीय युवाओं के सहयोग से सूर्य मंदिर और छठ घाट तालाब का रंग रोशन और साफ-सफाई कर लोक आस्था के महापर्व की तैयारी पूरी कर ली गई है।

क्या कहते हैं मंदिर के पुजारी

पाई बिगहा स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर के पुजारी घनश्याम दास ने बताया कि इस सूर्य मंदिर में छठ पर्व पर तो श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता ही है। सालों भर के प्रति रविवार को सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष श्रद्धालु भगवान भास्कर का पूजा अर्चना करने आते हैं।

सरकारी स्तर से नहीं हैं कोई प्रशासनिक व्यवस्था

लोगों ने बताया कि लोक आस्था के इतने बड़े केंद्र होने के बावजूद सरकारी स्तर से कोई व्यवस्था नहीं किए जाने से लोगों के बीच मायूसी का माहौल होता है। हालांकि विधि व्यवस्था को सुचारू करने के लिए स्थानीय थाना प्रभारी खुद तैनात होते हैं। लोगों ने बताया कि अगर प्रशासनिक अधिकारियों का पहल शुरू हो जाए तो कार्य में लगे युवाओं का उत्साह और बढ़ जायेगा और मेले में चार चांद लग जाएगा। इस स्थल पर प्रशासन के द्वारा छठ वर्तियों के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए।



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