गया शहर में भगवान सूर्य का सपरिवार मंदिर है स्थापित, शालिग्राम पत्थर से बनी है अद्भुत प्रतिमा - Bhagwan Surya ka Mandir

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गया शहर में भगवान सूर्य का सपरिवार मंदिर है स्थापित, शालिग्राम पत्थर से बनी है अद्भुत प्रतिमा - Bhagwan Surya ka Mandir


प्रभात कुमार मिश्रा, गया।

गयाजी शहर के अंत सलिला फल्गु नदी के किनारे स्थित ब्राह्मणी घाट पर भगवान भास्कर की आदमकद प्रतिमा पूरे बिहार में इकलौता है। यह प्रतिमा अद्वितीय शालिग्राम पत्थर से निर्मित है। मंदिर में भगवान भास्कर की 7 फीट की ऊंची प्रतिमा स्थापित है। जहां भगवान सूर्य के दोनों किनारे उनके पुत्र शनि, यम तथा पत्नी संज्ञा, सारथी अरुण, 7 घोड़े और एक चक्के पर विराजमान प्रतिमा स्थापित है। सूर्य मंदिर का चार हजार वर्ष पुराना प्राचीन इतिहास है। सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार सतयुग काल में गयासुर के द्वारा इस मंदिर और प्रतिमा की स्थापना की गई थी। कालांतर में मानपुर के राजा मान सिंह आदि राजाओं व जमींदारों के द्वारा जीर्णोधार का कार्य कराया गया था।

छठ व्रतियों की जुटती है भारी भीड़

लोक आस्था का महापर्व छठ पर्व में ब्राह्मणी घाट पर छठ व्रतियों की काफी भीड़ होती है। यहां पर स्थित सूर्य मंदिर के पुजारी ने बताया कि शास्त्रो में वर्णित है कि गयासुर के द्वारा यह प्रतिमा स्थापित की गई थी। तो वहीं मंदिर का निर्माण भगवान ब्रह्मा के आदेश पर देवशिल्पी विश्वकर्मा ने किया था। पुजारी ने बताया कि बिहार का यह पहला सूर्य मंदिर है जहां भगवान सूर्य का सपरिवार प्रतिमा स्थापित है। लेकिन बिहार सरकार या जिला प्रशासन के द्वारा रख रखाव, मंदिर का विकास आदि जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए थी वह नगण्य हैं। गया में तीनों पहर का सूर्य का अर्घ्य दिया जाता है।

भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का है खास महत्व

मानपुर में प्रातः कालीन, ब्राह्मणी घाट में मध्यकालीन पहर और सूर्यकुण्ड में संध्याकालीन पहर में भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। कहा जाता है कि दर्शन मात्र से निसंतान व चर्मरोग से मुक्ति और मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। बता दें कि शुक्रवार को ’नहाय-खाय’ के अनुष्ठान के साथ चार दिवसीय लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ प्रारंभ हो गया। पर्व के तीसरे दिन रविवार को छठव्रती विभिन्न जलाशयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। पर्व के चौथे और अंतिम दिन सोमवार को उदीयमान सूर्य के अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ ही व्रतधारियों का व्रत समाप्त हो जाएगा। इस दौरान गया शहर के अलावे जिले के विभिन्न प्रखंडों एवं अन्य जिले से लाखों की संख्या में छठ वर्ती गया के अंतःसलिला फल्गु नदी के घाट पर निर्मित ब्राम्हणी घाट सूर्य मंदिर में भगवान भास्कर का पूजा अर्चना और अर्ध प्रदान करते हैं।

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