अतिक्रमण का हवाला देकर दलितों का छीना आशियाना, एक साल से खुले आसमान में रहने को मजबूर - Atikraman

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अतिक्रमण का हवाला देकर दलितों का छीना आशियाना, एक साल से खुले आसमान में रहने को मजबूर - Atikraman

- अव्यवस्था के बीच अपनी ही जमनी पर खानाबदोश की तरह रहने को मजबूर दलित परिवार


विकाश सोलंकी की रिपोर्ट रजौली 

रजौली (नवादा) बीते वर्ष 2022 में प्रखंड क्षेत्र के हरदिया में अतिक्रमण का हवाला देकर दर्जनों दलित और महादलित परिवार के घरों पर बुलडोजर चलाकर उनके सपनों के आशियाना को जमींदोज कर दिया।जिससे दर्जनों दलित और महादलित परिवार अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजर का शिकार होकर पिछले एक वर्षो से बेघर होकर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है।और खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं।अतिक्रमण का शिकार हुए सभी ग्रामीणों में अधिकांश दलित और महादलित परिवार शामिल हैं।ऐसे में इन गरीब दलित और महादलितों परिवार के झुग्गी झोपड़ियों के ध्वस्तीकरण होने के बाद रात गुजारने के लिए कोई ठिकाना नही बचा है।जिससे छोटे-छोटे बच्चों और बुजुर्गों के साथ कड़कड़ाती ठंड में रहने को मजबूर है।संवेदनहीनता का आलम यह है कि जिनके कंधों पर इनके दुःख दर्द बाँटने की जिम्मेवारी है उन जनप्रतिनिधियों ने भी इनसे अपना मुँह मोड़ लिया है और इन सब से दूरी बना लिया है।अतिक्रमण के शिकार पीड़ित परिवारों ने बताया कि हमलोग आज से ठीक 35 से 40 वर्ष पहले सिंगर,भीतियाही,और मरमो से विस्थापित हुए थे और जमीन का सीमांकन ना होने के कारण हमलोगों का जमीन कहाँ आवंटन हुआ है। इसकी जानकारी सिंचाई विभाग के द्वारा नही दी गई है।तब से आजतक हमलोग यही झुग्गी झोपड़ी बनाकर रह रहे थे।हमलोगों की स्थिति इतनी खराब है कि दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नही पाता है ऐसे स्थिति में घर कहाँ से बना पायेंगे।

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अव्यवस्था के बीच रहने को मजबूर 

साथ पीड़ित परिवारों ने यह भी कहा कि है इस समय डेंगू का प्रकोप बढ़ा हुआ है।हमलोग अपने छोटे छोटे बच्चों को लेकर खुले आसमान के नीचे सोते हैं जिससे डेंगू का शिकार ना हो जायें ये खतरा बना हुआ रहता है।

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प्रशासन के उदासीनता के कारण खानाबदोश की तरह रहने को मजबूर 


हालांकि इनके समक्ष उत्पन्न समस्याओं से समाज के रहनुमाओं ने तो मुँह फेर ही लिया है,लेकिन इनके पुनर्वास के प्रति स्थानीय प्रशासन का रवैया भी गैर जिम्मेदाराना है,क्योंकि स्थानीय प्रशासन पीड़ित परिवार के पुनर्वास की ठोस योजना पर काम नही कर रहा है।जिससे इन सभी का जीवन खानाबदोश की तरह हो गया है।

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तालाश इन पीड़ित परिवार के दुःख और दर्द बाँटने वाले रहनुमा की 

हालाँकि जानकर लोगों ने बताया कि ये सभी लोग फुलवरिया डैम बनने के बाद विस्थापित किये गए हैं।लेकिन सिंचाई विभाग के उदासीन रवैये के कारण इन लोगों के समक्ष समस्या उत्पन्न हो गया क्योंकि सिचाई विभाग ने आजतक विस्थापित परिवार को उनके जमीन की सीमांकन कर उन्हें आवंटित नही किया है।जिससे सभी विस्थापित परिवार जहाँ तहाँ बस गया अब इनलोगों का कहना है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन से आग्रह है कि सिचाई विभाग पर दबाव बनाकर हमलोगों के जमीन का सीमांकन कर आवंटित कर दिया जाय ताकि हमलोग किसी तरह अपना आशियाना बनाकर रह सके।

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