राजनीति की प्रयोगशाला रही नवादा लोकसभा में जातीय समीकरण रही है हावी

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राजनीति की प्रयोगशाला रही नवादा लोकसभा में जातीय समीकरण रही है हावी


विप्र.
नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया)

-राजद ने उतारा स्थानीय उम्मीदवार, हो सकता है बगावत

 बिहार झारखंड सीमा का नवादा लोकसभा संसदीय क्षेत्र राजनीति का प्रयोग शाला रहा है। चुनाव के दौरान जातीय समीकरण के हावी रहने से विकास का मुद्दा गौण हो जाता है।बिहार का कश्मीर के नाम से प्रचलित ककोलत जलप्रपात इसी क्षेत्र में है। नवादा संसदीय क्षेत्र कौआकोल का रानीगदर मानव सभ्यता का उदय स्थल रहा है। यह सप्तऋषियों की तपोभूमि रही है। रामायण और महाभारत काल के कई प्रसंग यहां की जनश्रुतियों में आज भी कही-सुनी जाती हैं।

महावीर व बुद्ध ने इस धरती से विश्व को अंहिसा और शांति का संदेश दिया है। मौर्य साम्राज्य का अंश रही नवादा नगरी राजनीति की प्रयोगशाला रही है। 

आजादी के बाद वर्ष 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में नवादा से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ब्रजेश्वर प्रसाद व रामधनी दास संयुक्त रूप से सांसद रहे। अगले चुनाव में ही नवादा से पहली महिला सत्यभामा देवी संसद की सीढियां चढ़कर सदन तक पहुंची। डेढ़ दशक तक इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा रहा।

लेकिन वर्ष 1967 में पकरीबरावां क्षेत्र के बुधौली मठ के महंथ सूर्य प्रकाश नारायण पुरी स्वतंत्र रूप से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की और पार्टी के सुखदेव प्रसाद वर्मा चुनाव जीता। आपातकाल के बाद हुए चुनाव में यहां कांग्रेस को बड़ा झटका लगा और 1977 के आम चुनाव में भारतीय लोक दल के नथुनी राम सांसद रहे।

1980 में लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस सांसद कुंवर राम को जीत मिली और वे 1989 तक सांसद रहे। इसके बाद से आज तक नवादा सीट पर कांग्रेस की वापसी नहीं हो सकी । 

लोकसभा चुनाव 1989 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रेम प्रदीप विजयी रहे। पहली बार भारतीय जनता पार्टी प्रमुख दल के रूप में उभरी। हालांकि पार्टी के कामेश्वर पासवान चुनाव हार गए और दूसरे स्थान पर रहे।

वर्ष 1991 में माकपा से प्रेमचंद राम जीते। 1996 में भाजपा के कामेश्वर पासवान ने जीत दर्ज की। लेकिन 1998 में हुए मध्यावधि चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल की उम्मीदवार मालती देवी ने इन्हें हरा दिया। 1999 के चुनाव में यह फिर भाजपा की सीट रही।

नए सहस्राब्दी के साल 2004 में हुए पहले चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के वीरचन्द पासवान संसद पहुंचे। इसके बाद से नवादा संसदीय सीट पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का कब्जा है। 2009 में भोला सिंह और 2014 में गिरिराज सिंह भारतीय जनता पार्टी से सांसद रहे। जबकि 2019 में राजग की सहयोगी पार्टी लोकजन शक्ति के चंदन कुमार सांसद रहे।

आजादी के बाद कई बार बदला है नवादा संसदीय क्षेत्र:-  

आजादी के बाद पहले आम चुनाव से लेकर अबतक इसकी सीमाओं में काफी परिवर्तन हुआ है। वर्ष 1957 से पहले यह गया पूर्वी संसदीय सीट का हिस्सा था। इसके बाद नए परिसीमन के तहत संसदीय क्षेत्र संख्या-34 के रूप में इसका गठन हुआ।

अगले लोकसभा चुनाव के पूर्व साल 1962 में यह बदलकर संसदीय क्षेत्र संख्या-42(सुरक्षित) के रूप में अस्तित्व में आया, जो करीब चार दशक तक अपने स्वरूप में रहा। इस दौरान गया जिले का अतरी विधानसभा क्षेत्र इसका हिस्सा हुआ करता था।

नए सहस्राब्दी के प्रारम्भ में वर्ष 2004 में फिर से इसका परिसीमन बदला और यह संसदीय क्षेत्र संख्या-39 के नए कलेवर में सामने आया। 

वर्तमान में रजौली, हिसुआ, नवादा, गोविन्दपुर, वारिसलीगंज और शेखपुरा जिले का बरबीघा विधानसभा क्षेत्र इसमें शामिल है।

जातीय समीकरण और स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा है हावी :-

नवादा लोकसभा सीट लंबे समय तक जातीय हिंसा और नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है। प्रत्येक चुनाव में विकास के मुद्दे गौण ,कास्ट फैक्टर हावी रहता है। भूमिहार और यादव बहुल इस क्षेत्र में राजनीति की धूरी इन दो जातियों के इर्द-गिर्द घूमती है।

हालांकि कुशवाहा और वैश्य समाज के अलावा मुस्लिम वोटर भी जीत-हार के बड़े फैक्टर है। 

वर्ष 2009 में परिसीमन बदलने के बाद यह सामान्य सीट हो गई। जिसके बाद राजग ने इस सीट से भूमिहार प्रत्याशियों के लिए दरवाजा खोल दिया। परिणाम भी दिखे । इस बार के चुनाव में स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा भी हावी रहेगा।

प्रत्याशियों की जीत-हार में महिलाएं दिखा रहीं दम-खम:-

पिछले कुछ चुनावों से महिलाओं की भागीदारी अव्वल रही है। पुरुषों की अपेक्षा उनका मतदान प्रतिशत कहीं अधिक है। लोकसभा चुनाव 2019 में नवादा जिले के 48.76 फीसदी पुरुषों ने मतदान किया, तो 49.76 फीसदी महिला मतदाताओं ने अपना वोट डाला। पुरूषों से महिलाएं दो कदम आगे ही रही। 2015 के विधानसभा चुनाव में भी पुरुषों की अपेक्षा 3.36 फीसदी अधिक महिला वोटरों ने मताधिकार का प्रयोग किया था। गांव-नगर की सरकार हो या संसद की। महिलाएं प्रत्याशियों के जीत-हार में अपना दम-खम दिखा रही है।

नवादा संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित सांसद व पार्टी 

1952:- ब्रजेश्वर प्रसाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (गया-पूर्व-एससी के रूप में)

1952: राम धनी दास, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ((गया-पूर्व-एससी)

1957: सत्यभामा देवी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1957: राम धनी दास, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1962: राम धनी दास, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1967: सूर्य प्रकाश पुरी, स्वतंत्र

1971: सुखदेव प्रसाद वर्मा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1977: नथुनी राम, भारतीय लोक दल

1980: कुंवर राम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस7

1984: कुंवर राम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1989: प्रेम प्रदीप, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)

1991: प्रेम चंद राम, [भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)]]

1996: कामेश्वर पासवान, भारतीय जनता पार्टी

1998: मालती देवी, राष्ट्रीय जनता दल

1999: डा. संजय पासवान, भारतीय जनता पार्टी

2004: वीरचंद पासवान, राष्ट्रीय जनता दल

2009: डा. भोला सिंह, भारतीय जनता पार्टी

2014: गिरिराज सिंह, भारतीय जनता पार्टी

2019: -चन्दन सिंह , लोक जनशक्ति पार्टी

नवादा संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या (15.03.2024 के अनुसार)  विधानसभा-पुरुष-महिला-थर्ड जेंडर-कुल 

रजौली-174535-162476-19-337030

हिसुआ-201003-184822-49-385874

नवादा-188757-174828-14-363599

गोविन्दपुर-168984-155804-34-324822

वारिसलीगंज-186911-171527-33-358471

 नवादा जिला-920190-849457-149-1769796\\B

बरबीघा-122122-111585-1-233708

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