अतिक्रमण से शहर का खुरी नदी बना पईन, सदर प्रखंड में खुरी नदी का रकवा 33 एकड़ 43 डिस्मील, 60 फिसदी पर हो चुका कब्जा

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अतिक्रमण से शहर का खुरी नदी बना पईन, सदर प्रखंड में खुरी नदी का रकवा 33 एकड़ 43 डिस्मील, 60 फिसदी पर हो चुका कब्जा


विप्र.

- पर्यावरण को ले नदी पर नहीं दिया जा रहा प्रशासनिक ध्यान

- 1987-88 के रिविजनल सर्वे में अतिक्रमणकारियों के नाम से हो गया नदी का अधिकांश भू-भाग

- सर्वे के दौरान की गई बंदरबांट से खुरी नदी अब पईन में हो चुका तब्दील

- प्रशासन द्वारा 1919 के सर्वे से चलाया जाता रहा अभियान

- खुरी नदी के अस्तित्व को मिटाने में नगर परिषद की भूमिका अहम

नवादा(रवीन्द्र नाथ भैया) शहर से होकर गुजरने वाली खुरी नदी का अस्तित्व पर दिनों दिन खतरा का बादल मंडराता जा रहा है, जिससे पर्यावरण प्रभावित होने लगी है। बरसाती नदी होने के कारण इसपर अतिक्रमण करना लोगों के लिये आसान हो चुका है। इसमें भी नगर परिषद का फेंके जाने वाला कचड़ा उन अतिक्रमणकारियों के लिये सोने पर सुहागा का काम किया है। 

वर्तमान में स्थिति यह है कि नदी का 33 एकड़ 43 डिस्मील रकवा में करीब 15 एकड़ ही रकवा बचा है। खुरी नदी का करीब 18 से 20 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण कर लोगों ने नया खतियान सर्वे में अपने नाम से बंदरबांट कर लिया है। 

वर्ष 1987-88 में नये सर्वे के दौरान नदी के जमीन का खूब लूटपाट किया गया था। फलतः खुरी नदी पूरी तरह से सिकुड़ चुका है। नदी का चौड़ाई करीब 65 फीट रह गया है। शहरी क्षेत्र में नदी को सबसे ज्यादा प्रभावित नगर परिषद से किया जा रहा है, जिसके कारण लोगों को नदी पर कब्जा करने का मौका मिलता गया। 

बताया जाता है कि शहरी इलाकों में नदी किनारे बसे लोगों के अतिक्रमण का प्रभाव ऐसा हुआ कि नदी ने अपना रूख बदलना शुरू कर दिया और फिर गोंदापुर के रैयती जमीन को अपने चपेट में ले लिया, लेकिन जब नदी में पानी सुखना शुरू हुआ तब जिनका रैयती जमीन है उन लोगों द्वारा नदी में मकान बनाना शुरू कर दिया।

अब बड़ा सवाल:- नदी में रैयती जमीन तो नदी का जमीन कहां? 

खुरी नदी में रैयती जमीन का मामला ने एक नया मोड़ ले लिया है। साथ ही एक बड़ा सवाल प्रशासन के लिये खड़ा कर दिया है कि नदी में रैयती जमीन है तो नदी का जमीन कहां चला गया, बावजूद इस बिन्दु पर प्रशासन ने कभी कठोर कदम नहीं उठाया है। इतना ही नहीं खुरी नदी को कब्जा करने के लिये लोगों ने मंदिर और शिक्षण संस्थान तक को आधार बना लिया है। ऐसी हालात नदी में अतिक्रमण मुक्त करना अब प्रशासन के लिये नामुमकिन हो चुका है। 

पुराना सर्वे में नदी का जितना रकवा आता है, उसके आधार पर नया सर्वे में आने वाले रैयती जमीनों का जब तक जांच नहीं किया जायेगा, तब तक खुरी नदी को बचाया नहीं जा सकता है।

सदर अंचल में खुरी नदी के सम्पर्क में आने वाले इलाके:-

सदर अंचल में नगर का शहरी क्षेत्र में आने वाले इलाका मिर्जापुर लाईनपार, पार नवादा बड़ी दरगाह तथा शहर के नया पुल से सटे शेखावत बाग पूरी तरह से अतिक्रमण कर बसा हुआ है। यही इलाका न्यू एरिया के पश्चिमी भाग से होते हुए गोनावां तक अतिक्रमण कर लोगों ने नये सर्वे में अपने नाम से करा लिया है, लेकिन सर्वे होने के बाद प्रशासन को कार्रवाई करने में अड़चनें आने लगी हैै। उन दिनों नये सर्वे में जो भी जमीन लिया गया है, लोग वही खतियान दिखाकर प्रशासन की बोलती बंद कर दे रहे है।

नप का कचड़ा नदी में होता है डम्प:-

नगर परिषद नदी में कचड़ा डालकर इसके अस्तित्व को नुकासन करने के साथ-साथ अतिक्रमणकारियों के लिये रास्ता बनाने का काम कर रहा है। इस परिस्थिति में जिला प्रशासन को कठोर कदम उठाने की जरूरत पड़ गई हैै। 

नगर परिषद अपने अधिकार क्षेत्र में कचड़ा फेंकने के लिये नदी के अस्तित्व को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है, बावजूद ऐसा नहीं किया जा रहा है। हालांकि वर्तमान में नप अपने कचड़ों को लेकर व्यवस्था में जुटी है। लेकिन अब तक जो कचड़ा डाला गया है वह अतिक्रमणकारियों के लिए जमीन लूट का माध्यम बन गया है।

किस इलाका में खुरी नदी का कितना है रकवा:-

- नवादा शहरी इलाका- 9 एकड़ 75 डिस्मील

- गोंदापुर इलाका- 17 एकड़ 68 डिस्मील

- मिर्जापुर इलाका- 5 एकड़ 60 डिस्मील

कुल 33 एकड़ 43 डिस्मील

कहते हैं पदाधिकारी:-

"खुरी नदी का अतिक्रमण और कचड़ा फेके जाने को लेकर प्रशासन गंभीर है। इसको लेकर सदर अंचलाधिकारी को स्पष्टीकरण भेजा जा रहा है। खुरी नदी को जल्द हीं अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई किया जाएगा साथ ही कचड़ा डम्पिंग को लेकर कठोर कदम उठाया जाएगा"

अखिलेश कुमार, सदर एसडीओ,नवादा:

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