भारतीय सभ्यता और संस्कृति में गंगा जल अमृत के समानः-रत्नाकर

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भारतीय सभ्यता और संस्कृति में गंगा जल अमृत के समानः-रत्नाकर


विप्र.
नवादा(रवीन्द्र नाथ भैया) भारतीय संस्कृति में पवित्र कहे जाने वाली गंगा का जल बिहार के उत्तरी छोर पर स्थित गंगा नदी से पाइप के माध्यम से नवादा पहुंच गया है। इस पर खुशी व्यक्त करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार राम रतन प्रसाद सिंह रत्नाकर ने कहा कि नवादा में गंगाजल पहुंच जाने के कारण क्षेत्र वासियों को घर में शुभ कार्यों के लिए अब गंगा का शुद्ध जल के लिए पटना, बाढ़, बड़हिया आदि जगहों पर नहीं जाना पड़ेगा। 

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गंगा जल का बड़ा महत्व है, खासकर गंगा जल को अमृत माना गया है। माना तो यह भी जाता है कि मानव संस्कृति के लिए नदियां वरदान है। मानव सभ्यता के विकास यात्रा का प्रथम रास्ता नदियों के सहारे आगे बढ़ा है। पर्वत राज हिमालय भारतीय संस्कृति के मूक साक्षी हैं और हिम से भरे पर्वत राज की कोख में असीमित जल राशि का भंडार नदियों में भरा पड़ा है। 

आर्य जाति को हिमालय ने बहुत कुछ प्रदान किया है, जिसमें गंगा हिमालय द्वारा प्रदत्त सबसे महत्वपूर्ण उपहार है।

श्रीमदभागवत गीता में गंगा की उत्पत्ति का है बखान:-

श्रीमदभागवत गीता के अनुसार अयोध्या के राजा सागर जो चक्रवर्ती सम्राट थे। उनके पुत्रों ने पृथ्वी को खोदकर समुद्र बना दिया था। सागर के पुत्र अंशुमान हुए, अंशुमान के पुत्र दिलीप और दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए। सागर के पुत्र अंशुमान और दिलीप ने धरती पर गंगा को लाने का प्रयास किया लेकिन दोनों असफल हो गये। बिहार के उत्तरी क्षेत्र में गंगा बरसात के दिनों में प्रलयकारी हो जाती है। उन्होंने कहा की गंगा धरती आने से पहले हिमवान पर्वत पर गई जहां भगवान शंकर ने गंगा को अपनी जटा में बांध लिया। वहां से वेगवान गंगा राजा भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर धरती पर आई। लेकिन राज्य में दक्षिण से उतर बहने वाली गंगा को सीएम नीतीश के भागीरथी प्रयास ने माग्धी बना दिया है। अर्थात, मुख्यमंत्री ने गंगा को हाथीदह से पाइप लाइन के माध्यम से पहले नालंदा जिला होते नवादा के मोतनाज़े लाया, जहां से गया व बोधगया तथा नवादा जैसे शहरों में भेजकर पेयजल के रूप में आज घर-घर पहुंचा दिया है।

माता सीता के श्रापित फल्गु को भी मिला गंगा का सौगात:-

माना जाता है कि भगवान विष्णु के पद नमस्कार करने मात्र से व्यक्ति परम ब्रम्ह को प्राप्त करता है। गया में फल्गु नदी प्रवाहित है। यह भी कहा जाता है कि सीता के श्राप से फल्गु में सालों भर जल नहीं रहता, लेकिन अब फल्गु में सालों भर गंगाजल उपलब्ध रहेगा। इसके आगे ज्ञान के नगरी बोधगया भी गंगाजल पहुंच गया है। 

28 नवंबर 2022 का दिन यादगार रहेगा कारण इस दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जय-जय भागीरथी नंदिनी मनुष्य चकोर चांदनी के मंत्र के साथ जल अर्पण किया है। सही में यह गंगा जो पटना जिला से निकलकर नालंदा, नवादा से आगे गया जिला तक पहुंची है। अब यह माग्धी गंगा के रूप नवादा वासियों के लिए खुशी का संदेश लेकर आई है, इस कारण इस माग्धी गंगा को बार-बार नमस्कार है।

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