12 बजे लेट नहीं, दो बजे भेंट नहीं - Government Employees Working Style

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12 बजे लेट नहीं, दो बजे भेंट नहीं - Government Employees Working Style

-14 पंचायतों का प्रखंड के अधिकारियों- कर्मियों में अनिश्चियतता का भाव

- सरकार की ओर से आवास की व्यवस्था, लेकिन अधिकारी व कर्मी नवादा में रखे हैं आवास 


नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) जिले के उग्रवाद प्रभावित 
रोह प्रखंड एवं अंचल कार्यालय में कर्मचारियों के देरी से पहुंचने से आम जनता परेशान है। कोई ऐसा दिन नहीं जब सुबह 10:30 से 11:00 बजे तक कार्यालय का ताला खुल जाय। ऐसे में 12 बजे लेट नहीं दो बजे भेंट नहीं, वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

प्रतिदिन सैकड़ों लोगों का प्रखंड या अचंल कार्यालय आना होता है। संबंधित अधिकारियों को कार्यालय में उपस्थित नहीं होने के कारण लौटकर चले जाते है। 

एक महिला ने लौटने के क्रम में बताया कि प्रमाण-पत्र के लिए वह रोज प्रखंड कार्यालय की चक्कर लगा रही है। कोई बात सुनने के लिए तैयार नहीं है। आए दिन पदाधिकारी हों या कर्मचारी समय पर कार्यालय नहीं पहुंचने के कारण यहां की आम जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। 

विदित हो कि चाहे जमीन संबंधी समस्याओं की जानकारी लेनी हो या फिर प्रखंड कार्यालय से कोई जानकारी प्राप्त करनी हो अधिकारी से बातचीत तो दुर कार्यालय में नजर नहीं आते हैं। किसी समस्या से संबंधित आवेदन देनी हो इन सब के लिए प्रखंड कार्यालय और अंचल कार्यालय ही एकमात्र जगह है। 

प्रखंड व अंचल कार्यालय में सिर्फ पांच से सात कर्मी नजर आते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार प्रखंड विकास पदाधिकारी नाजरीन अंजुम तथा अंचलाधिकारी पुनीत कौशल इधर से अपने अपने कार्यालय के ईद का चांद हो गए हैं। ऐसे में आमलोग जरूरी काम को लेकर संबंधित अधिकारी से मिलने पहुंचते हैं। अधिकारी हैं कि जिले व अनुमंडल में वरीय अधिकारियों के साथ बैठक का हवाला देकर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक गायब रहते हैं और यहां आमलोगों के साथ समस्या जस के तस बनी रहती है। समय पर समस्या का समाधान नहीं होने पर परेशानी झेलनी पड़ जाती है। 

आश्चर्य तो यह कि अंचलाधिकारी अधिकारी फोन उठाना तक मुनासीब नहीं समझते हैं। फोन बंद रहता है। यूं कहें कि प्रखंड विकास पदाधिकारी कार्यालय, अंचलाधिकारी कार्यालय, प्रोग्राम पदाधिकारी कार्यालय, पंचायती राज कार्यालय, बाल विकास परियोजना कार्यालय, आपूर्ति कार्यालय, कृषि कार्यालय, सहकारिता कार्यालय सहित अन्य विभाग के कार्यालयों में देर तक ताला लटका रहता है। अक्सर कार्यालय में उपस्थित 

 स्टोनो पर ही लोग निर्भर रहता है। 

प्रखंड कार्यालय 14 पंचायतों से जुड़ा है । यहां तो अधिकारी कर्मी को पहुंचते पहुंचते 12:00 बजते हैं और फिर परेशानी नहीं हो इसलिए लौटना भी सवेरे रहता है। घर जाने की कर्मियों के द्वारा समय से कार्य नहीं निपटाए जाने के कारण क्षेत्र के लोगों में नाराजगी बढ़ने लगी है। यहां पदाधिकारी व कर्मी निश्चित भाव से कार्यालय आते और कुछ देर समय बिता कर चले जाते हैं। सहकारिता कार्यालय में तो कर्मियों का कभी-कभार दर्शन होता है।

बता दें कि प्रखंड में कार्यरत अधिकारियों तथा कर्मियों के लिए सरकार की ओर से आवास की व्यवस्था की गई है। इसके लिए प्रखंड कार्यालय के सामने बड़े-बड़े भवन बनाए गए हैं जिसमें कर्मियों को रहने के लिए संसाधन उपलब्ध है। बावजूद इसके अधिकांश कर्मी दूर-दूर अपना आवास नवादा में रखे हैं और वहीं से आते जाते हैं। ऐसे में कई कर्मियों व पदाधिकारियों को कार्यालय पहुंचने में 12 बज जाते हैं और फिर वह दो बजे चले जाते हैं। प्रखंड कार्यालय परिसर में मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि सवेरे आने पर कर्मी नहीं मिलते हैं और फिर थोड़ा विलंब होने पर उन सबों का दर्शन नहीं होता है। ऐसे में काम कैसे होगा? इसको लेकर पदाधिकारियों को सोचने की जरूरत है। 

कुछ लोगों ने बताया कि जो अधिकारी और कर्मी अगल-बगल रहते हैं वे भी समय से नहीं आते हैं। प्रखंड कार्यालय बाहर से जितना बड़ा दिखाई दे रहा है वही अंदर में काम काफी सुस्त गति से चल रहा है। अगर यही हाल रहा तो विकास के रेस में प्रखंड काफी पीछे चला जाएगा।

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