मनरेगा में बिना कार्य किये डकार गये 1168650 रुपया

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मनरेगा में बिना कार्य किये डकार गये 1168650 रुपया




विप्र.
 विकाश सोलंकी की रिपोर्ट रजौली 

-मनरेगा कार्य मे जिन अधिकारी पर लगा 1168640 रुपया का गबन का आरोप उसी को जाँच अधिकारी बनाकर मामले पर डाला पर्दा

-रजौली पीओ की भूमिका सवाल के घेरे में

रजौली (नवादा) मनरेगा कार्यालय रजौली में तैनात अधिकारियों पर एक कहावत खूब चरितार्थ हो रहा है कि सैयां भइल कोतवाल तो अब डर काहे की मामला रजौली प्रखंड के मुरहेना पंचायत का है।जहाँ बिना कार्य किये ही मुखिया और पंचायत समिति के द्वारा 1168640 रुपया का गबन किया गया है।जिसमें पंचायत रोजगार सेवक,कनीय अभियंता और तकनीकी पदाधिकारी भी शामिल हैं।मामला दिलचस्प तब बना जब आरोपित अधिकारी को ही इस योजना के फर्जीवाड़े की जाँच का जिम्मा सौप दिया गया। 

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क्या है पूरा मामला 

आरटीआई कार्यकर्ता बिंदा प्रसाद निराला ने बताया कि मुरहेना पंचायत के भूपतपुर में कजरी पैन है।उक्त पैन में बिना कार्य कराए ही सबसे पहले पंचायत समिति के द्वारा 5 जून 2023 से लेकर 30 मार्च 2023 तक फर्जी मास्टर रोल बनाकर  676410 रुपये की निकासी कर लिया गया।और फिर इसी काम को सेम डेट में ग्राम पंचायत मुरहेना के द्वारा अलग अलग योजना बनाकर और फर्जी मजदूर के नाम पर 492240 रुपया की राशि का गबन कर लिया गया है।जिसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता बिंदा प्रसाद निराला ने प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी से इसकी शिकायत किया।उसके बाद प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी ने कनीय अभियंता,पंचायत रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक को इस मामले की जाँच का आदेश दिया।जबकि गबन का आरोप इन्ही अधिकारियों पर लगा है।

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मनरेगा पीओ की भूमिका संदिग्ध 

बिंदा प्रसाद निराला ने बताया कि जिन अधिकारियों पर राशि की गबन का आरोप है,उन्ही के जिम्मे मामले की जाँच की जिम्मेवारी देकर मनरेगा की भी भूमिका संदिग्ध लगती है।और मनरेगा पीओ भी मामले को लीपापोती करने में लगे हैं।

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जिओ ट्रैकिंग के आधार पर जाँच करने का किया अनुरोध 

आरटीआई कार्यकर्ता बिंदा प्रसाद निराला ने जाँच प्रतिवेदन के विरोध में निदेशक डीआरडीए नवादा,जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नवादा,और सचिव ग्रामीण विकास विभाग को पत्र लिखकर अपने स्तर से जिओ ट्रैकिंग के आधार पर जाँच करने का अनुरोध किया है।

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मनरेगा योजना को धरातल पर उतारने के लिए अधिकारी नहीं कटिबद्ध 

वैसे तो रोजगार नही मिलने के कारण बिहार से बहुतायत में मजदूर दूसरे राज्य में मजदूरी करने को लेकर पलायन करते हैं।ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून लाया गया।जिसके उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करना है,लेकिन कहीं ना कहीं जिनके कंधों पर इस योजना को धरातल पर उतारने की जिम्मेवारी है वही लोग इस नियम और कानून की धज्जियां उड़ाकर फर्जी मजदूर के सहारे लाखों रुपया का गबन कर रहे हैं।

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क्या कहते हैं,अधिकारी

प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी नीरज त्रिवेदी ने बताया कि बिंदा प्रसाद निराला के शिकायत के बाद कनीय अभियंता इंदल पासवान को जाँच के लिए भेजा गया था।जिसके बाद उन्होंने बताया कि पैन की लंबाई अधिक होने के बाद तीन अलग अलग योजनाओं के तहत उक्त पैन में सफाई का कार्य किया गया है और तीनों का अलग अलग लम्बाई और दिशा है।

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