किसी भी योनि का जीव भगवान को प्राप्त कर सकता है _ किसी भी योनि का जीव भगवान को प्राप्त कर सकता है-देवी चित्रलेखा - Updesh

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किसी भी योनि का जीव भगवान को प्राप्त कर सकता है _ किसी भी योनि का जीव भगवान को प्राप्त कर सकता है-देवी चित्रलेखा - Updesh

विप्र।संवाददाता


टिकारी (गया)
प्रखण्ड के पच महला गांव मे चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत् कथा के चौथे दिन कथा वाचक देवी चित्रलेखा जी ने अपनी अमृत वाणी से श्रद्धालुओं को सृंचित करते हुए कहा कि हमे धैर्य और उत्साहपूर्वक भक्ति करनी चाहिए।गजेन्द्र मोक्ष की कथा का श्रवण पान करते हुए कहा कि किसी भी योनि का जीव भगवान को प्राप्त कर सकता है।जिस तरह गजेन्द्र नाम के हाथी को तालाब में स्नान कर रहा था तब ग्राह नामक हाथी ने उसका पाँव पकड़ लिया और सभी से मदद मांगने के बाद भी किसी ने मदद नहीं की तब गजेन्द्र ने भगवान् को खुद को समर्पित किया और भगवान् ने गजेन्द्र की रक्षा की। इस प्रकार भगवान् को प्राप्त करने के लिए जीव योनि का कोई महत्त्व नहीं, उच्च योनि से लेकर निम्न योनि तक का कोई भी जीव भगवद् प्राप्ति कर सकता है। इस तरह से कथा वाचन के दौरान  समुद्र मंथन के बारे में बताया कि समुद्र मंथन में एक तरफ देवता और एक तरफ राक्षस रहे जहाँ भगवान् ने मोहिनी अवतार ग्रहण कर के देवताओं को अमृत पान कराया। इसी क्रम में देवी चित्रलेखा जी ने  वामन अवतार का कथा सुनाई।  भगवान् वामन ने राजा बलि से संकल्प करा कर तीन पग भूमि दान में मांगी और इस तीन पग में भगवान् वामन ने पृथ्वी आकाश और तीसरे पग में राजा बलि को मापा और बलि को सुतल लोक का राजा बना के खुद वहां के द्वारपाल बने।


अपनी अमृत वाणी से श्रद्धालुओं को तृप्त करते हुए देवी चित्रलेखा ने कहा ने कहा कि  भगवान राम अपने आचरण के लिए मर्यादा पुरूषोत्तम कहे जाते है क्योंकि भगवान राम सभी नैतिक गुणों से संपन्न है। प्रभु राम के द्वारा सभी दैत्यों का संहार किया गया। और माँ सीता जी के हरण के बाद हनुमान जी से प्रभु की भेंट हुई व लंका दहन के साथ के पश्चात रावण वध का श्रवण कराकर भगवान राम के जीवन का संक्षिप्त रूप मे श्रावण कराया और कथा के विश्राम में कृष्ण जन्म की कथा को स्पर्श करते हुए बताया क़ि द्वापर युग में कंस जैसे दुष्ट पापी का अत्याचार बढ़ जाने पर प्रजा के आग्रह भगवान ने नटखट अवतार लिया और श्री बसुदेव जी भगवान कृष्ण को गोकुल ले कर गए वहां से यशोदा मैया को जन्मी योगमाया को अपने पास ले आये और कृष्ण को उनके पास रख के वापस आ गए ।श्रीकृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग के उपरान्त कथा का समापन भव्य महा आरती से हुआ।

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