तमसा महोत्सव पर सैंड आर्ट की मनोहारी कलाकृतियों और दीपों से जगमगाया तमसा तट,हुई महाआरती

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तमसा महोत्सव पर सैंड आर्ट की मनोहारी कलाकृतियों और दीपों से जगमगाया तमसा तट,हुई महाआरती



विप्र.
संवाददाता

 -बच्चों ने रंगोली से और कवियों ने कविता से दिया जल, जंगल और जमीन बनाचे का संदेश

हिसुआ (नवादा) देवोत्थान पर्व के अवसर पर तमसा (तिलैया) नदी किनारे भव्य तमसा महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर सैंड आर्ट की मनोहारी कलाकृतियों और दीपों से तमसा तट जगमगा उठा। शाम में नदी की महाआरती उतारी गई। आयोजन के दौरान स्कूली बच्चों ने रंगोली से जल, जंगल और जमीन बनाचे का संदेश दिया। कार्यक्रम के संयोजक कलाकार और शिल्पकार देवेंद्र विश्वकर्मा, सह संयोजक डाॅ शैलेंद्र कुमार प्रसून ,अध्यक्ष समाजसेवी अशोक चौधरी उर्फ बिल्टू चौधरी तथा कवि ओंकार शर्मा कश्यप की देखरेख में आयोजित तमसा महोत्सव में मॉडर्न इंग्लिश इंटरनेशनल स्कूल,जीवन ज्योति पब्लिक स्कूल, सरस्वती नैशनल स्कूल, सरस्वती शिशु मंदिर, सहित दर्जनों विद्यालय के सैंकडो बच्चों ने तमसा तट पर नदी बचाओ, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण सहित स्वदेशी अपनाने व बेटी बचाओं बेटी पढाओ जैसे थीम पर आकर्षक रंगोली के माध्यम संदेश दिया।बच्चियों ने कहा कि आज हर क्षेत्र मे बेटियों अपना परचम लहरा रही है। अगर बेटीयों को प्रयाप्त मौका मिले तो हर क्षेत्र मे हम आगे रहेंगे।

 सैंड आर्ट देखने के थम रहे थे हर पाव 

डां शैलेंद्र कुमार प्रसून्न ,देवेंद्र विश्वकर्मा  द्वारा तिलैया नदी किनारे बनाए सैंड आर्ट से महाकाल और भव्य राम मंदिर की आकृति बनाई गई थी। इस रास्ते से गुजरने वाले हर पाव सैंड आर्ट को देखने के लिए थमती दिखी।महोत्सव को सफल बनाने में  जितेंद्र राज आर्यन, गुलशन कुमार ,मधुकांत पांडेय,मनीष कुमार,  ललित किशोर शर्मा, अविनाश कुमार सिंह आदि कई दिनों से लगे रहें।  

 जिले भर के कवियों ने बांधा समां 

परंपरा के अनुसार तमसा महोत्सव के दौरान इस साल भी नदी में ही मंच लगाकर कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जहां जिले के विभिन्न हिस्सों से आए कवियों ने नदी पर्यावरण बचाने को लेकर अपने प्रस्तुतियां पेश की। जिले की वरिष्ठ साहित्यकार वीणा मिश्रा की अध्यक्षता और कवि ओंकार कश्यप के संचालन में आयोजित कवि सम्मेलन दौरान कई गौतम कुमार सरगम, शायर रेजा तस्लीम , सागर इंडिया, मधु कांत पांडेय, पंकज प्रवीण, मनीष कुमार , डॉ शैलेंद्र कुमार , देवेंद्र विश्वकर्मा आदि के कवियों ने कविता पाठ से लोगों को सराबोर कर दिया। कवियों ने कहा कि दिवंगत साहित्यकार और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक डॉ मिथिलेश सिंह ने नदी और पर्यावरण बचाने को लेकर तमसा महोत्सव शुरू किया था। उन्होंने जो ज्योति जलाई थी हम लोग उस लौ को बुझने नहीं देंगे। इस दौरान आयोजन समिति के अध्यक्ष परिषद अशोक चौधरी उर्फ बिल्टू चौधरी ने सभी को अंग वस्त्र और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया । अंत में आयोजकों , बच्चों, कलाकारों कवियों और सम्मानित लोगों के द्वारा द्वारा दीप प्रज्वलित किया गया। दीप प्रज्वलित होने के बाद मिट्टी दीये के एक साथ जलाने के बाद उपस्थित आयोजक, स्कूली बच्चे व स्थानीय मौजूद लोगो ने नदी का महाआरती किया

 कलाकारों ने कहा चंदन है हिसुआ की माटी 

धर्मेंद्र कुमार कि देखरेख मे तमसा तट पर रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कलाकार धर्मेंद्र कुमार उर्फ टन्ना,  सुरेंद्र झा, सुधीर कुमार, मधुकांत पांडेय आदि कलाकारों ने राघव जी के गउवा , चंदन है हिसुआ की माटी, हमर बगिया के रंग-बिरंगे फुल,छठ गीत, भजन आदि संगीतो से भक्तिमय कि छटा बिखेर रखा था।

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