गया जी धाम में मानवता को शर्मशार कर देने वाली वाक्या, पुरोहित ने पैसे के अभाव में नही कराया कर्मकांड तो बेटी ने बैठ गई मां को पिंडदान कराने

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गया जी धाम में मानवता को शर्मशार कर देने वाली वाक्या, पुरोहित ने पैसे के अभाव में नही कराया कर्मकांड तो बेटी ने बैठ गई मां को पिंडदान कराने



विप्र.
प्रभात कुमार मिश्रा, गयाजी.

ऐसे तो गया जी धाम में पितृपक्ष महाकुंभ मेला के दौरान देश विदेश के बड़ी संख्या में तीर्थयात्री और पिंडदानी अपने पूर्वजों और पितरों के मोक्ष की कामना के लिए आकर पिंडदान करते हैं। इस वर्ष देश के उपराष्ट्रपति और महामहिम राज्यपाल सहित कई बड़ी हस्तियां अपने पूर्वजों के मोक्ष को लेकर पिंडदान करने गयाजी धाम पहुंचे। मगर उसी पितृपक्ष महाकुंभ मेला में एक मानवता को शर्मशार कर देने वाला अनोखा दृश्य भी देखने को मिला। 

गयाजी धाम के सीताकुंड घाट पर हुआ यह वाक्या एक तरफ इंसान को गरीब और असहाय होना अभिशाप साबित करता है। वहीं आमजन और तीर्थयात्रियों के लिए हर सुविधा उपलब्ध कराने का दावा करने वाली बिहार सरकार और गया जिला प्रशासन के व्यवस्था का पोल खोलती नजर आती है। साथ ही पितृपक्ष महाकुंभ मेला में कार्य कर रही कथित समाजिक और स्वयंसेवी संस्थाओं, जो कहते नही थकते कि हम गरीबों और असहायों के हमायती हैं, उनके गाल पर जोरदार तमाचा है। वाक्या कुछ यूं था कि सूबे के नालंदा जिला के बिच्छा गांव की मां और बेटी अपने जवान दिवंगत बेटा के आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने गयाजी पहुंची। 

गरीब और असहाय मां बेटी के पास अपने घर से गया जी धाम आने जाने के किराया के अलावे चंद पैसा था। मन में अपने दिवंगत जवान बेटा के आत्मा की शांति का कामना लिए गयाजी धाम पहुंचने के बाद दोनों मां बेटी गयापाल पंडा और गयाजी के पुरोहितों से पिंडदान कराने का आग्रह किया। जिसके बाद पिंडदान के एवज में पुरोहितों ने अपना फीस सुना दिया। आर्थिक रूप से फटेहाल मां बेटी ने अपनी मजबूरी पंडा पुरोहितों के सामने रखा। 

मगर पंडा पुरोहितों को तो उनका दक्षिणा चाहिए था। वो भी पूरे पांच सौ। पंडा पुरोहितों ने अपना ईमान, इंसानियत और जमीर को ताक पर रख दोनों मां बेटी को दुत्कार कर भगा दिया। मगर कहते हैं पढ़े लिखे और सभ्य समाज के लोगों के आड़े गरीबी नही आती। पढ़ी लिखी बेटी ने बगल के दुकान से बीस रूपये का पिंडदान का एक किताब खरीदा और खुद मां को पिंडदान कराने के लिए बैठ गई। फिर जो हुआ उसे देखने और जानने के लिए मीडिया सहित पुलिस प्रशासन सहित आमजनों की भीड़ जुट गई। 

मगर फिर भी लोग तमाशबीन बनकर देखते रहे। किसी ने अपना हाथ नही बढ़ाया कि उक्त गरीब असहाय मां के दिवंगत पुत्र के आत्मा की शांति के लिए विधिवत कर्मकांड कराया जा सके। ज्ञात हो कि उक्त महिला के बेटे की हत्या उसके बहन से ससुराल वालों ने हीं दहेज के मामले को लेकर कर दिया था। एक तरफ मां को जवान बेटा और बहन को भाई खोने का शोक और दूसरी तरफ समाज के कथित रहनुमाओं के द्वारा तिरस्कार का संदेश लेकर गयाजी से लौटी। इस वाक्या से एक तरफ गयाजी की महिमा और दूसरी तरफ धनलोलूप गया वासियों, जिला प्रशासन की व्यवस्था और कथित समाजसेवियों के शर्मनाक प्रदर्शन एक बार फिर गया जी धाम के प्रतिभा और महत्ता पर दाग दे गया।




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