- सड़क नही बनने से नाराज ग्रामीणों ने किया था 2020 विधानसभा चुनाव में वोट का बहिष्कार
- लोकसभा और विधानसभा चुनाव में नही डालेंगे वोट
ऋषभ कुमार। रजौली
रजौली (नवादा) प्रखंड मुख्यालय क्षेत्र में हर तरफ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से ग्रामीण क्षेत्रों सड़कों का जाल बिछाकर गाँवों को मुख्यालय से जोड़ने की कवायद सरकार के तरफ से किया जा रहा है,लेकिन प्रखंड क्षेत्र के फरका बुज़ुर्ग पंचायत के धामुचक के ग्रामीणों को आजतक मुख्यालय से जोड़ने के लिए सड़क का निर्माण नही किया गया है। जिससे आज भी धामुचक के सैकड़ो ग्रामीण पगडंडियों के सहारे मुख्यालय तक पहुँचने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।ग्रामीणों गुलशन कुमार ने बताया कि कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों से सड़क बनाने का गुहार लगाया,लेकिन किसी ने भी सड़क बनाने में दिलचस्पी नही दिखाई और ना ही कभी स्थानीय पदाधिकारियों ने ग्रामीणों की कोई सुध लिया।साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कुछ दिन पूर्व गाँव की एक बच्ची का तबियत खराब हो गया था और जब उसको इलाज के लिए रजौली ला रहे थे तभी नदी में अत्यधिक पानी होने के कारण रजौली समय से नही पहुँच पाये जिससे उस बच्ची की मौत हो गई।वहीं ग्रामीण कपिलदेव प्रसाद ने बताया कि जब हम ग्रामीण प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैये से तंग गए थक गए तब हमलोगों ने बैठक कर वोट का बहिष्कार करने का निर्णय लिया और बीते 2020 विधानसभा के चुनाव में वोट का बहिष्कार भी किया।हालांकि प्रशासनिक दवाब के कारण कुछ लोगों से जबरदस्ती वोटिंग का दबाव भी बनाया गया लेकिन ग्रामीणों में वोट का बहिष्कार किया।
पाँच साल बीत जाने के बाद भी धामुचक में सड़क का निर्माण नही कराया गया अगर चुनाव से पहले सड़क बनता है तब हमलोग वोट करेंगे अन्यथा फिर वोट का बहिष्कार करेंग। ग्रामीणों ने पुनः बैठक कर निर्णय लिया कि आगामी 2024 में लोकसभा और 2025 में होने वाले चुनाव में भी वोट का बहिष्कार करेंगे और बहिष्कार तबतक जारी रहेगा।जब तक की सड़क ना बन जाय। वहीं ग्रामीण ने बताया कि कन्हैय्या रजवार जब विधायक थे तब सिर्फ शिलान्यास किया था,लेकिन आजतक सड़क नही बना।अब देखना यह है कि कबतक धामुचक के ग्रामीणों को सड़क नसीब होता है या फिर वोट का बहिष्कार होता रहेगा।हालांकि जो भी हो लेकिन एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि अगर आज भी धामुचक में सड़क नही बना तो इसका जिम्मेवार सिर्फ स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन ही है।इन दोनों की ही उदासीन रवैये के कारण आजतक धामुचक के ग्रामीण पगडंडियों पर चलने को मजबूर हैं।
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