- प्रकृति की सुरम्य वादियां लोगों को नई ऊर्जा व आनंद देती है
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ऋषभ कुमार की रिपोर्ट रजौली से (नवादा)
झारखंड की सीमा से सटे बिहार के नवादा जिले के रजौली प्रखंड के हरदिया पंचायत में अवस्थित फुलवरिया डैम प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा संगम स्थल है। छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा डैम सुबह और शाम में अद्भुत छटा बिखेरता है। यह लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। नवादा से करीब 30 किमी दक्षिण अवस्थित फुलवरिया इलाका में सुबह और शाम मेघालय जैसी खुबसूरती देखने को मिलती है। इसे लोग बिहार का मेघालय भी कहते हैं। इसमें नौका बिहार का लुत्फ उठाया जा सकता है।
हालांकि यह ग्रामीणों के लिए चलता है, लेकिन वहां पहुंचने वालों के लिए नौका विहार काफी रोमांचित करता है। फुलवरिया डैम के बीच कई टापू हैं, जो पिकनिक के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। फुलवरिया को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए जिला प्रशासन ने प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अभी साकार रूप नहीं ले सका है। 1979 में फुलवरिया डैम का निर्माण कार्य शुरु हुआ था, 30 जून 1985 को पूरा हुआ30 साल पहले पानी में डूब गई थी मस्जिद
हरदिया डैम में तीन दशक पुरानी मस्जिद पानी में डूबी मस्जिद मिलने के बाद लोग अचंभित हो रहे हैं। स्थानीय बुजुर्गों की मानें तो चंदोली गांव के पास एक मस्जिद थी। रजौली प्रखंड मुख्यालय से 5 किलोमीटर की दूरी पर फुलवरिया डैम के पास में यह मस्जिद थी। 3 दशक पानी में डूबे रहने के बाद भी मस्जिद पूरी तरह से सुरक्षित है, इसे कुछ भी नुक्सान नहीं हुआ है। ग्रामीणों को जब पानी में डूबी मस्जिद दिखने की खबर मिली तो दूर-दूर से लोग इसे देखने के लिए पहुंच रहे हैं।
डैम किनारे पहुंच कर लोग कर रहे दीदार
पानी में डूबी मस्जिद दिखने की खबर आग के तरह तरह फैल गई। दूसरे इलाकों के लोगों के साथ ही इन्य जिलों के लोग भी मस्जिद देखने पहुंच रहे है। मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ अन्य समुदाय के लोग भी डैम किनारे पहुंच कर मस्जिद का दीदार कर रहे हैं। वहीं कई युवा तो मस्जिद को नजदीक से देखने के लिए दल-दल जमीन और पानी में घुसने के लिए भी तैयार हैं लेकिन सुरक्षा के मद्देनज़र उन्हें दल-दल में जाने से रोका जा रहा है।120 साल पुरानी है मस्जिद
बुजुर्गों की मानें तो यह मस्जिद 120 साल पुरानी है। 30 साल पहले यह मस्जिद पूरी तरह से पानी में डूब गई थी। 1984 में फुलवरिया डैम का निर्माण किया गया था। इससे पहले वहां पर मुस्लिम समुदाय की बड़ी आबादी बसती थी। सरकार द्वारा ज़मीन अधिग्रहण कर डैम का निर्माण करवाया गया था। डैम निर्माण की वजह से वहां बसे लोगों को डैम के बहल वाले गांव में शिफ्ट करवा दिया गया था और मस्जिद को उसी जगह पर रहने दिया गया था। पानी भरने की वजह मस्जिद का सिर्फ़ गुम्बद नज़र आता था । अब पानी घटने की वजह से पूरी मस्जिद दिख रही है।
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