लंपी बिमारी मवेशियों के लिये बना काल, पशुपालकों में बढ़ी चिंता - Pashupalak

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लंपी बिमारी मवेशियों के लिये बना काल, पशुपालकों में बढ़ी चिंता - Pashupalak

विप्र संवाददाता, वजीरगंज गया.


बीते एक माह से क्षेत्र में लंपी बिमारी से सैंकड़ो मवेशी ग्रसीत हैं, जिनमें से दर्जनों की मौत हो चुकि है। सेल्वे निवासी डॉ0 नौलेश सिंह, परमानंद सिंह, अमलेश सिंह, गौरव कुमार, विनोद सिंह, पुनावां डाकबंगला निवासी दिनेश कुमार, विनोद साव, उमेश कुमार अनिल पंडित, कपील पंडित, केनार निवासी राजेन्द्र माहतो एवं अन्य ने बताया कि हमलोगों के मवेशी भी इस बिमारी के शिकार हुए हैं, जिनमें से कुछ की मौत भी हो गई है। मवेशी स्वामियों ने बताया कि इससे बचाव के लिये किसी भी तरह का पहल नहीं किया गया है।


कहते हैं चिकित्सक - पशु चिकित्सा प्रभारी डॉ0 मनिष कुमार ने बताया कि इससे बचाव के लिये टीकाकरण अभियान चलाया गया था, जिसमें 40 हजार पशुओं को प्रतिरक्षित किया गया है। कुछ लोग इसे चेचक मानकर खुद से ठीक होने का इंतजार किये जो पशुओं के लिये घातक साबित हुआ। इस बिमारी का कोई व्यवस्थित इलाज नहीं है, केवल घावों को ठीक करने के लिये आर्युवेदिक, ऐलोपैथिक एवं होम्योपैथिक का सहारा लिया जा सकता है। चिकित्सा दलों द्वारा विभाग से उपलब्ध दवाईयां लिखी जा रही है और अब काफी हद तक प्रखंड क्षेत्र में इसपर काबु पाया गया है, कुछ मवेशियों की मौत होने की भी सूचना मिली है।

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