पितृपक्ष पर नहीं आ सकते गयाजी तो ऐसे करें ऑनलाइन बुकिंग, विदेश से भी कर सकेंगे ई-पिंडदान

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पितृपक्ष पर नहीं आ सकते गयाजी तो ऐसे करें ऑनलाइन बुकिंग, विदेश से भी कर सकेंगे ई-पिंडदान


विप्र. गया से प्रभात कुमार मिश्रा

अगामी 28 सितंबर से 14 अक्टूबर तक  मेला चलेगा। ऐसी मान्यता है कि इस पितृ पक्ष मेले की अवधि में अपने पूर्वजों का पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

अगामी 28 सितंबर से विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले का शुभारंभ होने जा रहा है। 29 सितंबर से देश-विदेश से लाखों की संख्या में हिंदू सनातन धर्मावलंबियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इस वर्ष पितृ पक्ष मेले के दौरान 10 से 12 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। गयाजी पहुंचकर तीर्थयात्री अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने की कामना को लेकर पिंडदान, तर्पण एवं कर्मकांड को पूरा करते हैं। अगर आप पितृपक्ष पर गया नहीं आ सकते हैं तो ई-पिंडदान का लाभ उठा सकते हैं।

बनाया गया है विशेष पैकेज

दरअसल, बिहार सरकार ने ऐसे श्रद्धालुओं के लिए ई-पिंडदान की व्यवस्था की है अगर विदेश में भी रहते हैं और अपने पितरों का पिंडदान करना चाहते हैं तो ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं. ई-पिंडदान के जरिए विष्णुपद मंदिर, अक्षय वट और फल्गु नदी के किनारे पिंडदान करने की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के द्वारा एक पैकेज भी बनाया गया है जिसमें पिंडदान के लिए सामग्री, ब्राह्मण का दक्षिणा और अन्य खर्च को शामिल किया गया है। डीएम डॉ त्यागराजन एसएम ने बताया कि यह व्यवस्था वैसे लोगों के लिए खासकर है जो विदेशों में रहते हैं या फिर किसी अन्य कारणों से गया जी पिंडदान के लिए नहीं आ सकते हैं। इसकी जानकारी बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम की वेबसाइट पर उपलब्ध है. पैकेज के अनुसार ऑनलाइन बुकिंग करा सकते हैं.

कितना करना होगा खर्च?

विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी, अक्षयवट तीन स्थानों पर ई-पिंडदान के लिए प्रति श्रद्धालु 21,500 रुपये तय किए गए हैं। इसमें पूजन सामग्री, ब्राह्मण का दक्षिणा आदि सभी राशि जोड़ी गई है। ऑनलाइन पेमेंट बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के बैंक खाते में करनी होगी। श्रद्धालुओं को ई-पिंडदान संपन्न कराने के बाद पेन ड्राइव की होम डिलीवरी कराई जाएगी.बता दें कि 28 सितंबर से 14 अक्टूबर तक मेला चलेगा. ऐसी मान्यता है कि इस पितृपक्ष मेले एक लिमिट ऑफ की अवधि में अपने पूर्वजों का पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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