पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जयंती समारोह में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में शामिल हुए महामहिम राज्यपाल

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जयंती समारोह में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में शामिल हुए महामहिम राज्यपाल



विप्र. संवाददाता गया

गया पंडित दिन दयाल उपाध्याय जी कि जयंती के अवसर पर दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय पंचानपुर, के मिल्खा सिंह स्टेडियम में आज विश्वविद्यालय के परिसर में नवनिर्मित "मधुवन अल्पाहार गृह (कैफेट्रिया)" एवं "मुक्ताकाशी व्यायामशाला (ओपेन जिम)" का लोकार्पण माननीय राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के कर कमलों के द्वारा सम्पन्न हुआ।इस समारोह में चन्द्रयान के सफलता में गया जिले के वैज्ञानिक सुधांशु जी के माता पिता को अंग वस्त्र,पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए माननीय राज्यपाल ने देश आज़ादी के 100वें वर्षगाँठ 2047 में पंडित दिन दयाल जी भारत को किस रूप में देखना चाहते थे उसपर विस्तातर से प्रकाश डाला। आज जिस तरह से देश वास्तविक तौर पर प्रगति कर रहा है निश्चित तौर पर देश आज़ादी के 100 वें वर्षगांठ 2047 तक भारत दुनिया में अपने को एकबार पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित कर पायेगा और अपनी भारत कि माता पुरे विश्व कि भारत माता बने  इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महान विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी द्वारा दिए गए " एकात्म मानववाद "का दर्शन एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में हमारे सामने मौजूद है जरुरत इस बात कि है कि उनके संदेशों को गहन अध्ययन और दर्शन कर उसे अपनी जिंदगी में उतारने का प्रयास करना चाहिए।आज हमें भारत को विश्व गुरु बनाने के के लिए राष्ट्र -चिंता कि नहीं बल्कि राष्ट्र-चिंतन कि जरुरत है।अपने भाषण अभिभक्ति के दौरान माननीय ने चित्ति शब्द को व्याख्यायित किया और कहा कि जिस तरह से शरीर में आत्मा होती है, उसी तरह राष्ट्र कि भी अपनी आत्मा होती है जिसे दीनदयाल जी अपने शब्दों में "chitti"कहते थे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति (एनईपी)2020 एवं हीं में जी-20 का आयोजन राष्ट्र कि "चित्ति"को जगाने तथा दीनदयाल जी के सपनों का भारत बनाने कि दिशा में किया गया अनूठा प्रयास है। उन्होंने विश्वविद्यालय के युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप लोग प्रण लें कि आप नौकरी लेने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले युवा बनेंगे।

     इससे पहले कार्यक्रम कि औपचारिक शुरुआत दीप प्रज्वलित करके एवं पंडित जी कि तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया गया। इसके पश्चात् स्वागत सम्बोधन में इस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने माननीय राजयपाल महोदय के प्रति कार्यक्रम में उपस्थित होने के  लिए आभार प्रकट करते हुए आगे अपने विचार साझा किये।उन्होंने अपने सम्बोधन में कहाँ कि "यह धरती ज्ञान एवं मोक्ष" कि धरती रही है यहाँ से पुरे विश्व में ज्ञान और शांति का सन्देश प्रसारित होता है। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय जी के सिद्धांत 'एकात्म  मानववाद' पर अपनी बात रखते हुए उनकी पंक्ति "मनुष्य के जीवन कि सार्थकता तभी है जब वह अपने समाज और अपने राष्ट्र के लिए जीता हो"। अंत में उन्होंने वर्ष 2022 में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण का जिक्र करते हुए अपने भाषण कि समाप्ति अंत्योदय योजना के साथ किया जिसका लक्ष्य अंतिम व्यक्ति तक विकास के लक्ष्य है। इस कार्यक्रम में महामहिम राज्यपाल बिहार श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के साथ प्रदेश की प्रथम महिला एवं उनकी पत्नी श्रीमति अनघा आर्लेकर,सीयूएसबी के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह, कुलसचिव कर्नल राजीव कुमार सिंह, कार्यक्रम समन्वय समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर के. शिव शंकर के साथ बड़ी संख्या में प्राध्यापक गण, अधिकारी गण, शोधार्थी,छात्र-छात्राएं,गया जिले के जिला पदाधिकारी त्याग राजन जी, एवं टेकारी एसडीओ सुजीत कुमार सिन्हा आदि उपस्थित थे। मंच संचालन इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ सुधांशु झा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन मीडिया विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ सुजीत कुमार ने प्रस्तुत किया।

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