जिले में बाहरी उम्मीदवारों का रहा है दबदबा,हर बार उठता रहा है स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा

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जिले में बाहरी उम्मीदवारों का रहा है दबदबा,हर बार उठता रहा है स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा


विप्र.
 नवादा(रवीन्द्र नाथ भैया) 

देआजादी के बाद 18वीं बार लोकसभा का गठन होने जा रहा है। चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नामांकन का दौर जारी है। अबकी बार जीत-हार में स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा हावी है। 

पूर्व में भी राजनीतिक कार्यकर्ताओं और संसदीय क्षेत्र के निवासियों की मांग स्थानीय उम्मीदवार की रही है,‌ लेकिन लोकसभा चुनावों के 70 वर्षों के इतिहास में मात्र दो ही बार ऐसा अवसर आया है कि नवादा की धरती के लाल संसद की सीढियां लांघ कर सदन में पहुंचे हैं। साल 1967 के लोकसभा चुनाव में पकरीबरावां के बुधौली मठ के महंथ सूर्य प्रकाश नारायण पुरी निर्वाचित हुए।

उन्होंने कांग्रेस से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी, लेकिन पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर वे स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और जीत हासिल की। 1991 में लोकसभा चुनाव में भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार प्रेमचंद राम थे।क्षवे सिरदला प्रखण्ड के भरसंडा गांव निवासी थे और उन्होंने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार महावीर चौधरी को हराया था। इसके बाद नवादा की मिट्टी में जन्मा और पला-बढ़ा कोई भी रणबांकुरा संसद की सीढियों तक नहीं पहुंचा।

जिले की पहली महिला सांसद सत्यभामा देवी थीं बहू :-

जिले की पहली महिला सांसद सत्यभामा देवी थीं, जो 1957 के लोकसभा चुनाव में रामधनी दास के साथ संयुक्त रूप से विजेता हुई थी। उस समय नवादा का क्षेत्र गया पूर्वी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था। सत्यभामा देवी का जन्म 14 मार्च 1911 में वर्तमान लखीसराय के बड़हिया गांव में हुआ था और उनके पिता श्री हरि सिंह थे। उनका विवाह तत्कालीन गया जिले के मंझवे स्थित राजनीतिक कार्यकर्ता व किसान त्रिवेणी प्रसाद सिंह के साथ हुआ था और वे यहां की बहू थी।

कांग्रेस पार्टी के रहे हैं सबसे अधिक सासंद :-

संसद में नवादा सीट से सबसे अधिक सांसद कांग्रेस के रहे है। 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव के बाद से अबतक नवादा संसदीय सीट से पांच सांसद इस पार्टी के है। 

गया के ब्रजेश्वर प्रसाद, पटना सिटी के रामधनी दास, जहानाबाद के सुखदेव वर्मा और पटना के कुंवर राम को कांग्रेस ने अपना टिकट दिया था। दूसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी रही है। इस पार्टी के चार सांसद रहे है, जो बाहरी है।

इनमें पटना के कामेश्वर पासवान, दरभंगा के डा. संजय पासवान, बेगूसराय के डा. भोला सिंह और लखीसराय बड़हिया गिरिराज सिंह है। 

राष्ट्रीय जनता दल के दो सांसदों में से एक मालती देवी गया की रहनेवाली थी, जबकि वीरचन्द पासवान हाजीपुर के थे। भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से सांसद रहे प्रेम प्रदीप नालंदा निवासी थे तो आपातकाल के बाद वर्ष 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल से नथुनी राम जीते, जो बाहरी ही थे। 

2019 में लोकजनशक्ति पार्टी के विजयी सांसद चंदन कुमार का निवास पटना में है।

हर बार उठता है स्थानीय उम्मीदवार का मुद्दा, फिर भी जीत जाते हैं बाहरी:-

वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद नवादा संसदीय सीट से बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा हमेशा हावी होता है। पार्टियों के राजनीतिक कार्यकर्ता और वोटर स्थानीय उम्मीदवार की मांग करते है। लेकिन अंतिम समय में प्रमुख राजनीतिक पार्टियां बाहरी उम्मीदवारों को टिकट दे देती है। चुनाव प्रचार के बाद बाहरी लाेग ही जीतकर संसद पहुंचते हैं। स्थानीय बनाम बाहरी की मांग तो होती है, फिर नवादा के ही धुंरधंर राजनेता आपसी कलह में स्थानीय नेताओं को जीतने नहीं देते, परिणाम के दौरान बाहरी प्रत्याशी को संसद पहुंचने का अवसर मिल जाता है। 

इस बार के चुनाव में भी यह मुद्दा हावी है। अब देखना यह है स्थानीय राजनीतिज्ञ नवादा के लाल को विजय का सिरमौर पहनाते है या आपसी कलह में फिर बाहरी के सिर जीत का ताज सजता है।

फिलहाल राजद ने श्रवण कुशवाहा को चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया है। वे स्थानीय हैं। ऐसे में नजरें एनडीए पर टिकी है।    यहां भाजपा को प्रत्याशी का चयन करना है जिसकी अबतक घोषणा नहीं हो सकी है। 

नवादा संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित सांसद व पार्टी:- 

1952 ब्रजेश्वर प्रसाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (गया-पूर्व-एससी के रूप में)

1952:- राम धनी दास, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ((गया-पूर्व-एससी)

1957:- सत्यभामा देवी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1957:- राम धनी दास, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1962:- राम धनी दास, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1967: -सूर्य प्रकाश नारायणपुरी , स्वतंत्र

1971:- सुखदेव प्रसाद वर्मा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1977: -नथुनी राम, भारतीय लोक दल

1980:- कुंवर राम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1984: -कुंवर राम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1989:- प्रेम प्रदीप, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)

1991:- प्रेम चंद राम, [भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)]]

1996: - कामेश्वर पासवान, भारतीय जनता पार्टी

1998: - मालती देवी, राष्ट्रीय जनता दल

1999:- डा. संजय पासवान, भारतीय जनता पार्टी

2004: - वीरचंद पासवान, राष्ट्रीय जनता दल

2009: - डा. भोला सिंह, भारतीय जनता पार्टी

2014: - गिरिराज सिंह, भारतीय जनता पार्टी

पार्ट

2019: - चन्दन सिंह , लोक जनशक्ति पार्टी

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