शिक्षा विभाग के नए फरमान से जंगली और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात शिक्षकों की बढ़ेगी परेशानी - Shiksha Vibhag ki Pareshani

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शिक्षा विभाग के नए फरमान से जंगली और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात शिक्षकों की बढ़ेगी परेशानी - Shiksha Vibhag ki Pareshani

- जंगली और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सवारी वाहनों का परिचालन होती है समयानुसार

- रजौली प्रखंड के आधा दर्जन से अधिक विद्यालय है घोर नक्सल प्रभावती और जंगली क्षेत्र में


विकाश सोलंकी।रजौली

रजौली (नवादा) शिक्षा विभाग के नए फरमान से शिक्षकों की परेशानी कम होने का नाम नही ले रहा है।शिक्षा विभाग के नए समय सारणी के अनुसार शिक्षको को अब 9 बजे सुबह विद्यालय पहुँचना है और शाम 5 बजे तक विद्यालय में रहना है।रजौली प्रखंड में आधा दर्जन से अधिक विद्यालय घोर नक्सल प्रभावित और जंगली क्षेत्र में अवस्थित है।जहाँ सवारी वाहनों का परिचालन एक गंभीर समस्या है।कुछ मार्गो पर सवारी वाहन का परिचालन होता भी है तो वो सीमित समय के लिए जिससे आने वाले दिनों में विशेषकर महिला शिक्षको की शिक्षा विभाग के नए फरमान से काफी फजीहत होंने वाला है।

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तय समय पर विद्यालय पहुँचना होगा चुनौतीपूर्ण : प्रखंड क्षेत्र के सवैयाटांड़ पंचायत की दूरी रजौली मुख्यालय से लगभग 40 से 50 किलोमीटर की है वही दूसरा मार्ग धमनी से सपही की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है और वही हरदिया पंचायत में भी आधा दर्जन से अधिक विद्यालय ऐसे है जो नक्सलियों का गढ़ माना जाता रहा है।इन विद्यालय तक पहुँचने के लिए  जंगली क्षेत्र से गुजरना होगा जो काफी चुनौतीपूर्ण है।

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5 बजे के बाद इन क्षेत्रों में सवारी वाहनों का नही होता है परिचालन : ये सभी क्षेत्र जंगली और नक्सलियों का गढ़ माना जाता रहा है ऐसे में इन क्षेत्रों में सवारी वाहनों का परिचालन कुछ दिन पूर्व तक नही होता था।लेकिन अब सवारी वाहनों का परिचालन शुरू हुआ भी है तो वो सीमित समय के लिए होता है।जिससे किसी तरह विद्यालय तो पहुँचा जा सकता है लेकिन शाम के समय मे विद्यालय से वापस लौटना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

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जंगली क्षेत्रो में नही है बेहतर आवासीय सुविधा : अगर इन क्षेत्रों में जो शिक्षक और शिक्षिका की तैनाती है और इन परेशानियों से बचना चाहते है और अगर विद्यालय के आसपास किराए के मकान में रहना चाहते है तो वैसे स्थिति में इन क्षेत्रों में बेहतर आवासीय सुविधा भी उपलब्ध नही है।क्योंकि ये क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ रहा है और जंगली क्षेत्र है ऐसे में इन क्षेत्रों में स्थानीय लोग रहते तो हैं लेकिन उनके घर वैसे नही बने होते हैं जहाँ कोई भी ब्यक्ति किराए पर रह सकता है।मिलाजुला कर देखा जाय तो आनेवाले दिनों में इन क्षेत्रों में तैनात शिक्षक और शिक्षिकाओं को शिक्षा विभाग के नए फरमान से फजीहत होना तय है।

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