पबजी गेम की लत में फंसकर सेहत बिगाड़ रहे युवा - PUBG Game

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पबजी गेम की लत में फंसकर सेहत बिगाड़ रहे युवा - PUBG Game

- खाना-पीना और सोना भूल दिन-रात गेम में डूबे रह रहे युवा-किशोर


विकाश सोलंकी की रिपोर्ट रजौली 

रजौली (नवादा) प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों पबजी गेम दिन ब दिन घातक होता जा रहा है।युवा पीढ़ी इस गेम की बुरी लत में फंसकर दुनियादारी से बेखबर हो रही है।इस गेम में डूबे रहने के कारण किसी की तबीयत बिगड़ रही है तो किसी की भूख मिट रही है। पढ़ाई,लिखाई और घर परिवार से दूर बस एक अजीब सी खामोशी में हेडफोन पर बुदबुदाते हुए मोबाइल और एक गेम प्लेयर।ऐसे में कोई आ न पाए, सिवाय एक दूर दराज के ऑन लाइन पार्टनर के और फिर गेम शुरू।पबजी खेलने वालों को नींद भी नहीं प्रभावित कर पा रही है। जो जहां है।वहीं से इस गेम को ऑनलाइन खेल रहा है और वक्त बर्बाद कर रहा है। इस गेम में रमे रहने वाले प्लेयर्स के अभिभावक चिंतित हैं। महाराष्ट्र में बेखबर होकर ट्रेन की पटरी पर पबजी खेल रहे दो युवकों की मौत के बाद वहां इस खेल पर बैन लगाने की मांग उठी।इन घटनाओं के बाद इस गेम पर पाबंदी लगाने की मांग बढ़ गई है। कुछ राज्यों में इस गेम पर बैन लगा भी दिया गया है।रजौली के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ रजनीश कुमार ने बताया कि आज के बच्चे बड़ी तेजी से पबजी गेम के शिकार हो रहे हैं। इस गेम को लगातार खेलते रहने के कारण बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ रहा है।हमारे क्लिनिक में कई ऐसे केसेस आ रहे हैं।बच्चे पूरी तरह एकाग्रचित्त होकर इस गेम को खेलते हैं।मोबाइल के स्क्रीन पर उनकी आंखें टिकी रहती हैं,जिसके कारण उनके ड्राई हो जाने का खतरा है। साथ ही इसके कई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

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क्या है पबजी गेम

यह एक ऑनलाइन मल्टीप्लेयर बैटल रॉयल गेम (शाही युद्ध खेल) है।इसमें दो या दो से अधिक लोग एक साथ गेम खेलते हैं।इसमें ज्यादातर फायरिंग और एनकाउंटर से रिलेटेड गेम होता है।इस गेम में तरह-तरह के वैपन्स का इस्तेमाल होता है।इस गेम को पबजी कॉर्पोरेशन ने दक्षिण कोरियाई कंपनी ब्लू होल के सहयोग से इजाद किया है।इसके निर्माता चांग हैन कीम हैं और इस खेल को ब्रैंडन ग्रीन ने डिजाइन किया है।इसके प्लेयर्स ऑनलाइन होते हैं और घंटों वक्त जाया करते हैं।

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माता-पिता का कितना दोष  

फास्ट लाइफ में माता-पिता को  कम टाइम में ही सब कुछ करना होता है। बच्चों को खाना खलाने के लिए मां उसकी हर वो बात मान लेती है जो नाजायज है। बच्चे घर पर होते हैं तो ज्यादा सुरक्षित होते हैं, ये भावना भी अभिभावकों में घर कर गई है। इब बच्चे बाहर खलेने नहीं जाते तो लगातार उन पर जोर भी नहीं डाला जाता, बच्चे बाहर जाकर बिगड़ जाएंगे ये भी चिंता घरवालों को सताती रहती है।वहीं दोस्त ना होने की वजह से बच्चे अकेलेपन के शिकार हो जाते हैं,ऐसे में वो ऑनलाइन गेम की तरफ मुड़ जाते हैं।

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गेम खेलने में बढ़ता जाता लालच

कुछ ऑनलाइन गेम्स फ्री होते हैं, कुछ में पैसा देना होता है।बच्चे अगला स्टेप पार करने के लिए  अभिभावकों की जमा पूंजी से चोरी करते हैं।कई गेम्स जीतने पर रिवॉर्ड भी मिलता है,इससे लालच बढ़ता जाता है।वहीं हार जाने पर डूबा पैसा वापस लाने की जिद सवार हो जाती है।बच्चे लगातार झूठ बोलने और लोन लेने जैसी आदतें के शिकार हो जाते हैं।

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गेम खेलने से दिमाग पर पड़ रहा बुरा असर

मोबाइल पर लगातार गेम खेलने के कारण मानसिक परेशानी के साथ आंखों,सिर में दर्द,रात में घबराहट, नींद ना आना,चिड़चिड़ापन,भूलने की बीमारी, निराशा,टेंशन और डिप्रेशन जैसी बीमारियां घेरने लगती हैं।लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठकर गेम्स खेलने के कारण मोटापा,ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ समेत अन्य शारीरिक समस्याएं भी बच्चों और युवाओं को घेरने लगती हैं।ऑनलाइन गेम्स के जरिए शरीर बीमारियों का घर बनने लगता है।

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