विप्र संवाददाता गया
इन दिनों गयाजी में पितृपक्ष महाकुंभ का मेला चल रहा है। अपने पितरों के मोक्ष की कामना लेकर बड़ी संख्या में तीर्थयात्री और पिंडदानी गयाजी पहुंच रहे हैं। सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन पिंडदानियों और तीर्थयात्रियों के सुविधा, सेवा में दिन रात मेहनत कर रही है। मगर इन्हीं सब बातों के बीच शहर की समुचित व्यवस्था में जिला प्रशासन से चूक होती दिखाई दे रही है। गया शहर के घुघनीतांड़ बाईपास से उतरकर लखनपुरा होते हुए श्मशान घाट के रास्ते विष्णुपद मंदिर तक पहुंचने वाली सड़क मार्ग की स्थित काफी जर्जर है। लोग समय बचाने के लिए शॉर्टकट का इस्तेमाल करते हैं। वहीं अन्य दिनों में भी क्षेत्र की बड़ी आबादी का इस रास्ते से आना जाना होता है। कई पंडित कहते हैं मैं अपने जजमान को इसी रास्ते से लेकर मंदिर जाता हूं। लेकिन इस रास्ते में कच्ची सड़क एवं मिट्टी का होना यात्रियों के लिए काफी परेशानियों का सबब बन चुका है। सारी व्यवस्था के बीच जिला प्रशासन द्वारा ये छोटी सी चूक आमलोगों के साथ तीर्थयात्रियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। पितृपक्ष महाकुंभ मेला के एक सप्ताह बीते हैं और दो यात्री का हाथ फैक्चर हो गया। बीते दिन उक्त रास्ते से यात्री लेकर जा रहा एक टोटो पलट गया। जिससे कई यात्री घायल हो गए। इस रास्ते की मरम्मती को लेकर स्थानीय महल्ला के लोगों द्वारा कई बार जिला प्रशासन एवं नगर निगम को आवेदन दिए हैं। मेला शुरू होने से पहले भी इसकी आवेदन दी गई। लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम द्वारा इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। नतीजा उक्त मार्ग की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
जिला प्रशासन के व्यवस्था पर मध्य प्रदेश से आते पिंडदान दीपक जी कहते हैं कि गयाजी का जिला प्रशासन काम तो बेहतर कर रही है। मगर छोटी छोटी बातों को अनदेखी किया जाना बड़ी घटना का कारण बन सकता है। स्थानीय गयापाल पंडा मनीष दुबे एवं शिवम मिश्रा ने बताया कि इसी रास्ते से यजमान को लेकर जाता हूं और मेरा कई यात्री कीचड़ में गिर चुके हैं। दो लोगों का तो हाथ भी टूट चुका है। एक टोटो उलट गया जिससे कई यात्री घायल हो गए हैं। अगर समय रहते इसकी मरम्मत नहीं की गई तो न जाने कितने यात्रियों का हाथ पैर टूटेगा और अलग राज्यों में गलत मैसेज जाएगा। गयापाल पंडा ने बताया कि इस वर्ष उक्त सड़क मार्ग की मरम्मती को लेकर दो महीना पूर्व से स्थानीय लोगों द्वारा जिला प्रशासन और गया नगर निगम को आवेदन दिया गया था। मगर लापरवाही का आलम यह कि पितृपक्ष महाकुंभ मेला का आधा समय बीत जाने के बाबजूद कोई कार्य नहीं किया गया है।
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