गयाजी में 17 दिवसीय विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष महाकुंभ मेला का हुआ समापन, तीर्थयात्रियों ने व्यवस्था को सराहा - Mela Samapan

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गयाजी में 17 दिवसीय विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष महाकुंभ मेला का हुआ समापन, तीर्थयात्रियों ने व्यवस्था को सराहा - Mela Samapan

प्रभात कुमार मिश्रा, गयाजी


गयाजी में इस वर्ष 28 सितंबर से 14 अक्टूबर तक 17 दिवसीय विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष महाकुंभ मेला का समापन शनिवार की देर शाम किया गया। इस वर्ष का पितृपक्ष महाकुंभ मेला ऐतिहासिक रहा। प्रशासन की ओर से लगभग 5 महीना पहले से ही पितृपक्ष मेला के सफल आयोजन के लिए हर स्तर पर तैयारी की गई थी। जिसका परिणाम रहा कि पितृपक्ष महाकुंभ मेला में लाखों की संख्या में आए तीर्थयात्रियों ने सरकार एवं प्रशासन को काफी ज्यादा सराहा गया है। जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा शहर के चप्पे चप्पे पर तीर्थयात्रियों को पूरी मदद सेवा भाव समर्पण के साथ उनका सहयोग देने का कार्य किया गया है। पितृपक्ष मेला के समापन समारोह पर ज़िलाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम ने तमाम पदाधिकारियों, पुलिस पदाधिकारियों, सफाई कर्मियों, स्वयं सेवी संस्थानों, समाजसेवियों, एनसीसी के बच्चे, स्काउट गाइड के बच्चे, नेहरू युवा केन्द्र के वोलेंटियर, विभिन्न मीडिया हाउस के प्रतिनिधियों सहित अन्य सभी लोगो के साथ-साथ गया ज़िला वासियों को इस वर्ष पितृपक्ष मेला को ऐतिहासिक, स्मरणीय और यादगार बनाने के साथ साथ सफल बनाने में जो कार्य किया है, उसे लेकर सभी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष का मेला सालो साल इतिहास के रूप में याद किया जाएगा। देश विदेश से आए पिंडदानी गया जिला के साथ-साथ बिहार का अच्छा छवि लेकर घर वापस लौटे। सभी यात्रियों ने इस वर्ष के मेले की व्यवस्थाओं से काफी खुश दिखे और बिहार सरकार तथा जिला प्रशासन के तमाम अधिकारियों को धन्यवाद भी दिया।


जिलाधिकारी ने कहा कि पितृपक्ष महाकुंभ मेला के अवसर पर इस वर्ष 15 लाख से अधिक तीर्थयात्री गयाजी आकर अपने पूर्वजों का पिंडदान एवं तर्पण किया। साथ ही लगभग 45 से अधिक विदेशी पिंडदानी जो अमेरिका, रसिया, फ्रांस एवं जर्मनी से आकर अपने पूर्वजों का पिंडदान किए हैं। विदेशी पिंडदानी ने भी कहा कि जिस फल्गु नदी में पानी नहीं होती थी, वहां अब लबालब पानी देखने को मिल रहा है। इस वर्ष के मेले में गयाजी डैम आकर्षण का केंद्र बना रहा है। माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुरूप ऐसा बना है। पहले पिंडदानी गड्ढा खोदकर पानी निकालकर तर्पण करते थे। अभी लबालब पानी में यात्री तर्पण कर काफी संतुष्ट हो रहे हैं। फल्गु नदी में लबालब पानी को देखकर सरकार एवं स्थानीय जिला प्रशासन को काफी सराहना किया है कि हम सभी तीर्थ यात्रियों के लिए गयाजी डैम का निर्माण कर सालों भर पानी उपलब्ध करवाने का कार्य काफी सराहनीय कार्य किया गया है। इसके अलावा इस वर्ष पहली बार टेंट सिटी में रहने वाले तीर्थयात्रियों को पीने के लिए गंगाजल भी उपलब्ध कराया गया है। साथ ही विष्णु पद मंदिर के समीप प्याऊ तथा देवघाट एवं सीता कुंड में प्याऊ के माध्यम से आए हुए सभी तीर्थ यात्रियों को गंगाजल पिलाने का कार्य बिहार सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा किया गया था। इस व्यवस्था को लेकर देश-विदेश से आए सभी तीर्थयात्रियों ने काफी सराहा है। पितृपक्ष मेला के अवसर पर गांधी मैदान में बनाए गए टेंट सिटी में तीर्थयात्रियों को निशुल्क सभी व्यवस्था उपलब्ध करवाना एक बहुत बड़ी उपलब्धि साबित हुई है। यहां जो भी पिंडदानी रहने आए उन सभी ने सरकार एवं प्रशासन का सराहना किया है। टेंट सिटी में जीविका दीदियों द्वारा लगाए गए स्टॉल, सुधा तथा हर दिन संध्या में भजन कीर्तन इत्यादि का काफी आनंद सभी ने लिया है। टेंट सिटी में लगभग 12000 से अधिक तीर्थयात्रियों ने आवासन किया है। विगत कोरोना काल के बाद मेला का स्वरूप में बड़ी बदलाव हुई है। तीर्थ यात्रियों को जगह-जगह पर निशुल्क ई रिक्शा की व्यवस्था रखकर उन्हें यह सुविधा उपलब्ध करवाई गई। विशेष रूप से विष्णुपद मंदिर से चांद चौराहा एवं विष्णुपद मंदिर से बंगाली आश्रम तक नो व्हीकल जोन बनाकर यात्रियों के लिए पर्याप्त संख्या में ई रिक्शा की व्यवस्था रखी गई। इस व्यवस्था को लेकर सभी तीर्थ यात्रियों ने काफी सराहा है एवं भरपूर ई रिक्शा का प्रयोग किया है। लगभग 3 लाख 10 हजार से ज्यादा तीर्थयात्रियों ने निःशुल्क ई रिक्शा का लाभ लिया है। मंदिर परिसर में यात्री अच्छे तरीके से भगवान का दर्शन करें इसके लिए क्यू- सिस्टम बनाकर यात्रियों को कतारबद्ध रूप से गर्वगृह में प्रवेश करवाया गया, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति को भी पूरी तरह रोका गया। अब शतप्रतिशत तीर्थयात्री भगवान का दर्शन कर पा रहे हैं। क्यू- सिस्टम बनने से कोई भी श्रद्धालु भगवान के दर्शन से वंचित नहीं रह पाये और भगदड़ की जैसी भी कोई स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। इस बार पहली बार विभिन्न संकीर्ण गलियों एवं मंदिर परिसर के चिन्हित बिंदुओं पर वॉकी-टॉकी के साथ पदाधिकारी को प्रतिनियुक्त किया गया था ताकि अत्यधिक भीड़ बढ़ने पर अलग-अलग स्पॉट पर भीड़ की कैसी स्थिति है इसका पूरा निगरानी हो सके। दूर दराज से आए सभी पिंड दानियों को स्वास्थ्य सुविधा की पूरी मुकम्मल व्यवस्था इस बार रखी गई। सिविल सर्जन एवं उनके स्तर पर निरंतर इसकी जांच एवं समीक्षा की गई। कहीं भी कोई भी छोटी से छोटी स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर सिविल सर्जन की टीम द्वारा क्विक रिस्पांस दिया गया। पूरे 17 दिनों में 65 स्वास्थ्य शिविर में 75000 से अधिक तीर्थयात्री चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई गई। इसके अलावा 410 तीर्थ यात्रियों को कैंप में रखकर जरूरी उपचार यथा स्लाइन पानी चढ़ाना, बैंडेज इत्यादि का इलाज किया गया। इसके अलावा 245 तीर्थ यात्रियों को स्वास्थ्य शिविर से बेहतर इलाज के लिए मगध मेडिकल, जयप्रकाश नारायण अस्पताल सहित अन्य डेडीकेटेड बनाए गए अस्पतालों में रेफर किया गया। फूड इंस्पेक्टर की टीम बनाकर निरंतर मेला क्षेत्र के विभिन्न दुकानों/ प्रतिष्ठानों में दूषित खाना का जांच करवाया गया, जिसमें 349 दुकानों में छापेमारी की गई उसमें 387 फूड सैंपल संग्रह किये गए तथा जांच हेतु सैंपल को लैब में भेजा गया, जांच रिपोर्ट के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जा रही है। तीर्थयात्री के छोटी-छोटी सुविधाओं पर विशेष ध्यान इस वर्ष रखा गया है। तीर्थयात्री जब भगवान के दर्शन करने जाने पर अपने जूते चप्पल को एक जगह सुरक्षित रखने के लिए जिला प्रशासन द्वारा 3 अलग-अलग स्थान पर चप्पल जूता स्टैंड बनवाया गया, जहां विभिन्न स्वयंसेवी संस्था द्वारा इसका संचालन किया गया। अनेकों तीर्थ यात्री इसका भरपूर लाभ उठाएं। विष्णुपद मंदिर दर्शन करने आने वाले अति बुजुर्ग तीर्थ यात्रियों को विशेष रूप से व्हीलचेयर की सुविधा इस वर्ष उपलब्ध कराई गई। पूरे मेला अवधि में लगभग 317 तीर्थ यात्रियों को व्हीलचेयर की सुविधा मुहैया कराई गई। देवघाट पर बनाए गए नियंत्रण कक्ष में लगभग 438 तीर्थ यात्रियों को खोया पाया काउंटर के माध्यम से उनके परिजन से मिलाने का कार्य किया गया है। इसके अलावा संवास सदन नियंत्रण कक्ष में बनाए गए आईवीआरएस सिस्टम के तहत 384 कॉल्स तीर्थ यात्रियों का सीधे पदाधिकारी से संपर्क स्थापित कराकर उनके समस्याओं को समाधान करवाया गया है। विभिन्न तालाबों एवं सरोवर में एसडीआरएफ एवं गोताखोर के टीम द्वारा लगभग 115 से ऊपर रेस्क्यू ऑपरेशन कर तीर्थ यात्रियों को सहायता प्रदान किया है। इस वर्ष पितृपक्ष मेला में पहली बार निर्बाध बिजली आपूर्ति के साथ-साथ मेला क्षेत्र में कहीं भी लो- वोल्टेज की समस्या नहीं आने के उद्देश्य से मेला क्षेत्र के 7 अलग-अलग स्थान पर 200 केवीए का अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगवाए गए थे। साफ सफाई के क्षेत्र में भी काफी उत्कृष्ट कार्य नगर निगम द्वारा किए गए हैं। नदी के पानी को स्वच्छ रखने के लिए पर्याप्त सफाई कर्मी द्वारा जाल के साथ पानी से यत्र तत्र पूजन सामग्री को लगातार साफ करने का कार्य किए हैं। इसके अलावा मेला क्षेत्र, टेंट सिटी एवं सभी आवासन स्थल में डेंगू से बचाव हेतु विशेष रूप से फोगिंग की व्यवस्था रखी गई थी। विष्णुपद मंदिर गर्वगृह में यात्रियों को कोई फिसलन ना हो इसे ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रांगण एवं मंदिर परिसर में लगातार साफ सफाई की व्यवस्था करवाई गई है। इस वर्ष किसी भी तीर्थ यात्रियों को फिसलन जैसी कोई समस्या नहीं हुई। पितृपक्ष मेला प्रारंभ होने के पहले से प्रशासन का एक प्रमुख चैलेंज था, यातायात को सुगम रखना। पितृपक्ष मेला के पहले विभिन्न मुख्य सड़कों को युद्ध स्तर पर मरम्मत करवाए गए थे एव नए सिरे से कुछ सड़कों का निर्माण भी करवाए थे, जिसमें मुख्य रूप से चांद चौरा से विष्णुपद मंदिर तक, पिता महेश्वर की मुख्य सड़क, रामशिला प्रेतशिला की मुख्य सड़क तथा घुगड़ी ताड़ बाईपास सड़क को नए सिरे से पितृपक्ष मेला के पहले बनवाने का कार्य पूर्ण किया गया था, ताकि देश विदेश से आने वाले लाखों लाख तीर्थ यात्रियों को आवागमन में कोई समस्या नहीं हो। उन्होंने कहा की पितृपक्ष मेला में हर एक तिथि के अनुसार सभी अपने-अपने पिंड वेदी स्थल का धार्मिक आस्था की दृष्टिकोण से एक अलग महत्व है। 


इन सभी चीजों को देखकर उक्त तिथियों पर अतिरिक्त पदाधिकारी का डेप्लॉयमेंट, पुलिस की डेप्लॉयमेंट एवं सफाई व्यवस्था रखी जाती थी ताकि तीर्थ यात्रियों को कहीं कोई समस्या नहीं हो। संपूर्ण मेला क्षेत्र को 43 जोन में विभक्त कर कुल 329 सेक्टर में बाँटते हुए प्रशासनिक दृष्टिकोण से सभी व्यवस्थाएं मुकम्मल कराई गई थी।

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