- ऐसे हुआ खुलासा : केरल के व्यवसायी की पत्नी से 1.12 कराेड़ रु ठगने के बाद चढ़ा पुलिस के हत्थे, केरल पुलिस रांची से गिरफ्तार कर चारों आरोपियों को साथ ले गई
- 100 से ज्यादा लड़के शामिल हैं इस गैंग में, गैंग के लिए नियुक्ति की थी पूरी प्रक्रिया
विप्र संवदादाता । रांची/नवादा: साईबर ठगी करने वाले जिन जालसाजों को केरल की एर्नाकुलम पुलिस तलाश रही थी वे झारखंड की राजधानी रांची में मिले. ठगी के इस अंतरराज्यीय गिरोह का संचालन बिहार के नवादा जिले में स्थित वारीसलीगंज से किया जा रहा था. वारसिलीगंज में बैठे सरगना गुर्गों को आमदनी का हिस्सेदारी दे रहे थे. आरोपी ने केरल के एर्नाकुलम निवासी महिला शोभा मेनन को 1.50 करोड़ लॉटरी लगने का झांसा देकर 1.12 करोड़ की ठगी की थी. जिसके बाद केरल की अपराध शाखा और सुखदेवनगर थाना पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में चारो आरोपी पकड़ में आए.
केरल के व्यवसायी की पत्नी शाेभा मेनन से 1.12 कराेड़ की ठगी करने के बाद 4 साइबर फ्राॅड पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पकड़े गए साइबर फ्राॅड का नाम ज्याेतिष कुमार, माेहन कुमार, अजीत कुमार अाैर निरज कुमार है। ज्याेतिष, माेहन अाैर अजीत बिहार के नवादा जिला स्थित वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के चकवाई गांव का रहने वाला है। तीनाें विद्यानगर में किराए के घर में रहकर ठगी की रकम काे अकाउंट से निकालकर वारिसलीगंज स्थित सरगना तक पहुंचाता था। वहीं सुखदेवनगर थाना क्षेत्र के किशाेरगंज स्थित इरगु टाेली निवासी निरज उक्त तीनाें अाराेपियाें काे एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंचाने में मदद करता था। गिरफ्तार फ्राॅड ने पुलिस पूछताछ में बताया है कि बिहार के नवादा जिला स्थित वारिसलीगंज में गिराेह का सरगना रहता है। वारिसलीगंज में ही ग्रामीण इलाके में एक अाम का बगीचा है जहां ठगी के लिए काॅर्पाेरेट कंपनी की तरह अाॅफिस तैयार किया गया है। अाॅफिस में अलग-अलग 5 सेक्शन बटा हुअा है जिसमें 110 लाेगाें काे ठगी के काम में लगाया गया है। सैलरी के रूप में सभी कार्य के लिए कमिशन के ताैर पर पैसे का फिक्स निर्धारण किया गया है। ठगी से अाने वाले पैसाें में से ही गिराेह के लाेगाें काे सैलरी के ताैर पर दिया जाता है।
इस गैंग में सैलरी नहीं, मिलता है कमीशन... 2 महिने की ट्रेनिंग के बाद होती है बहाली
विद्यानगर से पकड़ा गया साइबर फ्राॅड ज्याेतिष कुमार ने सुखदेवनगर थाने में पूछताछ के दाैरान पुलिस काे बताया है कि पहले से कंपनी में काम कर रहे लड़काें के माध्यम से ही नए लाेगाें की बहाली हाेती है। नए लाेगाें से उसके पसंद का काम पूछा जाता है। इसके बाद कंपनी में पहले से काम कर रहे लाेगाें द्वारा 2 महिने की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दाैरान उसे काेई पैसा नहीं मिलता। जब वह स्वतंत्र रूप से लाेगाें काे ठगने में सक्षम हाे जाता है अाैर प्राेफेनल रूप से काम करने लगता है ताे ठगी के रूप में अाने वाले पैसाें में से ही उसे कमीशन दिया जाता है।
गिराेह सरगना नाम बदलकर देता है है अपना परिचय
पकड़े गए साइबर फ्राॅड ने पुलिस काे बताया है कि सरगना नवादा में ही रहता है अाैर वह वर्तमान में नवादा के ही किसी पंचायत का मुखिया है। गिराेह के किसी सदस्य से वह मुलाकात नहीं करता है। जब कभी मिलता भी है ताे अपना नाम बदलकर परिचय देता है।
ठगी के लिए पांच स्तर पर बांट रखे थे काम
01. ठगी का शिकार बनाने वाले का डेटा जुटाता है। खाते में कितने पैसे हैं, इसकी जानकारी उपलब्ध कराता है।
02. खाता धारक को फोन कर उन्हें अपने जाल में फंसाता है आैर उनसे ठगी करता है।
03. फर्जी कागजात पर बैंकों में खाते खुलवाता है, जिसमें ठगी का पैसा ट्रांसफर कराया जाता है।
04. काम खाते में आए पैसों की निकासी का है।
05. अंतिम स्तर पर कमीशन बांटकर बचे पैसे सरगना तक पहुंचाना है।
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